
ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव भी जरूरी हैं,
सर्दी में धूप तो गर्मी में छांव भी जरूरी है।
लहर में कसे हुए को, भवरे में फंसे हुए को,
पतवार भी जरूरी हैं, तो नाव भी जरूरी है।
सर्दी में धूप तो गर्मी में छांव भी जरूरी है।
ज़िंदगी…
जिस घोंसले में जन्म लिया, उस घोंसले को छोड़कर उड़ गए,
चिड़िया के बच्चे, मां का दिल तोड़कर।
बच्चों को अपनी मां से लगाव भी जरूरी,
सर्दी में धूप तो गर्मी में छांव भी जरूरी है।
ज़िंदगी में…
शहर की भीड़-भाड़ से ऊबकर, कुदरत में बनाए अपना एक घर,
हरियाली से भरा छोटा सा गांव भी जरूरी है।
सर्दी में धूप तो गर्मी में छांव भी जरूरी है,
अच्छे-बुरे दौर से गुजरता है हर कोई ज़िंदगी…
जीवन के रंगमंच पे उतरता है हर कोई,
खुशी और ग़म का हाव-भाव भी जरूरी है।
सर्दी में धूप तो गर्मी में छांव भी जरूरी है।
ज़िंदगी में भी उतार-चढ़ाव भी जरूरी।
– अनिल कुमार दोहरे
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