बाधाएं तो आती है,
वह आती हैं और आती रहेंगी।
तू डर मत, तू रूक मत,
बस अपना कर्म करते चल।
मन को बना ले सरिता,
बाधाओं के बीच रास्ता बनाते चल।
क्योंकि मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
जरूरी नहीं जीवन में तुझे शीतल,
मंद, सुगंधित समीर मिले।
सामने गर्म पवन, सर्द हवाएं,
आंधी तूफानों के चक्रवात भी आएंगे।
तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर,
मन को अपने सुमेरु बना।
क्योंकि मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
क्या हुआ जो तू ठोकर लगने से,
औरों की तरह गिर गया।
गिरने में कोई बड़ी बात नहीं,
फिर से संभल और इतिहास बना।
जिन पत्थरों से तुझे ठोकर लगी,
उन्हें ही सफलता की सीढ़ी बना।
क्योंकि मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
उलझनों के भंवर में,
अगर फंसी है तेरी जीवन नैया।
इधर-उधर के लहरों के थपेड़े भी
जब तुझे विचलित करने लगे।
तब भय छोड़ हिम्मत से कर सामना,
मन को तू अपने पतवार बना।
क्योंकि मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
जीवन एक संघर्ष है,
तू इससे कब तक बचेगा और भागेगा।
हिम्मत से कर सामना, मन को कस,
कर इस पर अपना वश।
आदित्य दीक्षितस्टूडेंट एक्सिस कॉलेज
One Comment