बेसिक शिक्षा : एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त कर्मियों का ब्योरा तलब
बेसिक शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल 2005 या उसके बाद नियुक्त उन कार्मिकों का ब्योरा मांगा है जिनकी नियुक्ति के लिए विज्ञापन एक अप्रैल 2005 के पहले प्रकाशित हुआ था।
- विशिष्ट बीटीसी 2004 के 40 हजार शिक्षक पुरानी पेंशन मामले को लेकर हुए सशंकित
कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल 2005 या उसके बाद नियुक्त उन कार्मिकों का ब्योरा मांगा है जिनकी नियुक्ति के लिए विज्ञापन एक अप्रैल 2005 के पहले प्रकाशित हुआ था।
ऐसे में शिक्षकों व कर्मचारियों में उम्मीद जगी है कि केंद्र की भांति उन्हें भी पुरानी पेंशन का विकल्प मिलेगा। संयुक्त शिक्षा निदेशक गणेश कुमार ने सभी बीएसए को इस संबंध में पत्र भेजा है। हालांकि उन्होंने विशिष्ट बीटीसी 2004 में नियुक्त अभ्यर्थियों को न शामिल करने की बात कही है। इससे शिक्षकों में नाराजगी है। हाल ही में अभी शासन स्तर पर शिक्षक संघ की बैठक हुई थी।
बैठक में ऐसे शिक्षक जिनका चयन एक अप्रैल 2005 से पूर्व हो गया था परंतु उनका कार्यभार ग्रहण 1 अप्रैल 2005 के बाद हुआ है, उनको केंद्र की तरह पुरानी पेंशन से लाभांवित करने पर सहमति बनी थी। इसी के बाद विभाग ने यह कवायद शुरू की है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी आदेश में लिखा है कि विशिष्ट बीटीसी 2004 में नियुक्त शिक्षकों को छोड़कर सूचना दी जाए। इसके चलते इस भर्ती में नियुक्त 40 हजार शिक्षकों में भ्रम की स्थिति है। इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पुरानी पेंशन की लड़ाई लड़ी है। कुछ शिक्षकों का मानना है कि विशिष्ट बीटीसी 2004 के शिक्षकों की सूचना विभाग के पास पहले से ही है इसलिए नहीं मांगी गई जबकि कुछ लोग सशंकित हैं कि विभाग इनको पुरानी पेंशन नहीं देना चाहता। वैसे अगर इन्हें बाहर किया गया तो एक बार फिर कानूनी लड़ाई शुरू हो जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मांगी गई सूचना में 2004 में नियुक्त विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को शामिल नहीं करने से शिक्षक नाराज हैं। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने इस मामले में बुधवार देर शाम निदेशक बेसिक शिक्षा डॉ. महेंद्र देव व संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक गणेश कुमार से मिलकर आपत्ति दर्ज कराई।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि एक अप्रैल 2005 के पूर्व चयनितों की सूची बेसिक शिक्षा विभाग ने मांगी है। इसमें 2004 बैच के 40 हजार शिक्षकों की सरकार उपेक्षा कर रही है। यह इन शिक्षकों के जीवन-मरण का विषय है। अगर सरकार 2004 बैच को इसमें शामिल नहीं करती है तो संगठन सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होगा।