मतदाता सूची से जोड़े जाएंगे मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी
लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची से नाम काटने एवं जोड़ने को लेकर हाल में जिस तरह से आरोपों की बाढ़ आई है उससे निपटने के लिए चुनाव आयोग मुस्तैदी से जुट गया है जो अहम कदम उठाने के संकेत मिले हैं, उनमें मतदाता सूची को अनिवार्य रूप से मोबाइल और ईमेल से जोड़ने की तैयारी है ताकि मतदाता सूची से नाम कटने या जुड़ने पर मतदाताओं को तुरंत ही इसकी जानकारी मुहैया कराई जा सके।

- देशभर में व्यापक अभियान चलाने की तैयारी
- आयोग सभी राज्यों के सीईओ के साथ चर्चा कर देगा अंतिम रूप, मतदाताओं को नाम कटने या जुड़ने की होगी जानकारी
- राजनीतिक दलों की ओर से सूची में गड़बड़ी के लग रहे आरोपों से निपटने की चुनाव आयोग की तैयारी
कानपुर देहात। लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची से नाम काटने एवं जोड़ने को लेकर हाल में जिस तरह से आरोपों की बाढ़ आई है उससे निपटने के लिए चुनाव आयोग मुस्तैदी से जुट गया है जो अहम कदम उठाने के संकेत मिले हैं, उनमें मतदाता सूची को अनिवार्य रूप से मोबाइल और ईमेल से जोड़ने की तैयारी है ताकि मतदाता सूची से नाम कटने या जुड़ने पर मतदाताओं को तुरंत ही इसकी जानकारी मुहैया कराई जा सके। देशभर में इसे लेकर व्यापक अभियान चलाने की तैयारी है।
मतदाता सूची में अभी किसी का नाम कटने पर उसे नोटिस भेजकर जानकारी देने की व्यवस्था है लेकिन अधिकतर मामलों में उस पते पर व्यक्ति के न मिलने से वह नोटिस पहुंचता ही नहीं है या बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) इस पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर चुप बैठ जाता है। आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मोबाइल और ईमेल के अपडेट होने से मतदाता सूची से नाम कटने से जुड़ी जानकारी न मिलने जैसी सारी समस्या खत्म हो जाएगी। आयोग की ओर से नाम सूची से हटाने या जोड़ने के साथ ही मोबाइल पर तुरंत संदेश पहुंच जाएगा। खास बात यह है कि इनमें जिस वजह से नाम मतदाता सूची से हटाया गया उसकी भी जानकारी मिल जाएगी। ऐसे में यदि मतदाता इससे संतुष्ट नहीं है तो वह तुरंत उच्च स्तर पर उसे चुनौती भी दे सकेगा।
आयोग इस मुद्दे पर चार व पांच मार्च को नई दिल्ली में होने वाली सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) की बैठक में भी चर्चा करेगा। माना जा रहा है कि इस चर्चा में ही इसके अमल का रोडमैप तैयार हो सकता है। 99 करोड़ मतदाताओं में से करीब 65 करोड़ के मोबाइल व ईमेल आयोग के पास पहले से मौजूद हैं। इनमें से ज्यादातर मतदाताओं ने नाम जुड़ने के लिए आवेदन करने के साथ ही इसे दर्ज करा दिया है जबकि बाकी मतदाताओं की ओर स्वैच्छिक रूप से अपना आधार नंबर दिए जाने से चुनाव आयोग के पास यह ब्योरा मौजूद है। ऐसे में आयोग का फोकस बाकी बचे करीब 34 करोड़ मतदाताओं को लेकर है जिनके मोबाइल और ईमेल जुटाए जाने हैं।
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