रिश्तों की सच्चाई
थोड़ी ही देर के लिए तो खुशी लेके आते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं। भाई- भाई के बीच संपत्ति का बंटवारा, घर है तुम्हारा और खेत है हमारा। बंटवारे में जब कभी सिर फूट जाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं। थोड़ी देर के लिए...

थोड़ी ही देर के लिए तो खुशी लेके आते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
भाई- भाई के बीच संपत्ति का बंटवारा, घर है तुम्हारा और खेत है हमारा।
बंटवारे में जब कभी सिर फूट जाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
थोड़ी देर के लिए…
बेटे की शादी के बाद सामने आता है मां का रूप असली, लगता है जैसे मां बेटे का संबंध होता है नकली।
सास, बहू की ड्रामें समाज में हंसी हान करवाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोग लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
थोड़ी देर के लिए…
बूढ़े बाप का एक दिन सहारा बनेगा, किसे पता है आगे चलकर बेटा शराबी या आवारा बनेगा।
कलयुग में कहां कोई रिश्ते निभाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
थोड़ी देर के लिए…
भाई पर अगर विश्वास न करता, दशासन युद्ध में कभी ना मरता।
विभीषण जैसे लोग भाई को मरवाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझते हैं।
थोड़ी देर के लिए…
गैरों का हाथों में हाथ लेते हैं, अपने देश धर्म के व्यक्ति का साथ नहीं देते हैं।
जय चंद्र जैसे लोग पृथ्वी पृथ्वीराज चौहान को हरवाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
थोड़ी देर के लिए…
अठारह दिन चला था महाभारत का युद्ध, मरने मरने के लिए एक दूसरे को हो गए थे क्रुद्ध।
थोड़ी देर के लिए अती धर लेते हैं, दुर्रत क्रीडा से दूसरे की स्त्री हर लेते हैं।
दुर्योधन जैसे लोग सुई की नोक इतनी जमीन नहीं दे पाते हैं, खून के रिश्ते अपने लोगों को परेशानियों में उलझाते हैं।
थोड़ी देर के लिए ही तो खुशी लेकर आते हैं।
लेखक – अनिल कुमार दोहरे
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