बीते दो दशक की बात करें तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रामसिंह से पहले उनकी पत्नी उíमला यादव वर्ष 2010 में निर्वाचित हुई थीं और बसपा प्रत्याशी को हराया था। वहीं वर्ष 2015 में रामसिंह निíवरोध अध्यक्ष चुने गए थे। इससे पहले वर्ष 2000 में सपा के कन्हैयालाल व उसके बाद सपा की ही मिथलेश यादव चुनी गई थीं, लेकिन इस बार सपा के इस किले को तोड़ने के लिए भाजपा की तरफ से तेजी दिखाई जा रही है। जिला पंचायत सदस्यों के आरक्षण श्रेणी निर्धारित होते ही यह लड़ाई तेज होगी। अनुसूचित जाति महिला की तीन सीट आरक्षित की गई है। अनुसूचित जाति के किये छह सीट आरक्षित की गई है। पिछड़ी जाति महिला के लिए तीन सीट तो पिछड़ी जाति के लिए पाच सीट आरक्षित कर दी गई है। इसी तरह पाच सीट महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई है। सबसे अधिक 10 सीट अनारक्षित की गई है। अब आरक्षण घोषित होते ही जंग तेज हो गई है। सबसे ज्यादा मुकाबला सपा व भाजपा के बीच होगा। इस बार दोनों पाíटयों में सीधी टक्कर की उम्मीद है। वहीं बसपा भी अपनी तरफ से जोर लगा रही और 50 फीसद से ज्यादा सीट के किये जोर लगा रही। काग्रेस इस चुनाव में अभी तक अपनी लड़ाई को जाहिर नहीं कर रही है।

अनुसूचित महिला

-राजपुर तृतीय, भोगनीपुर, बारा

अनुसूचित जाति

-सुनासी, लक्ष्मणपुर पिलख, कुढ़वा, राजपुर द्वितीय, तिंगाई, मुरलीपुर

पिछड़ी महिला

-नोनारी, मुंगीसापुर व बरौर

पिछड़ी जाति

-भुजपुरा, औगी, जगनपुर, राजपुर प्रथम, देवराहट

महिला

-परजनी, रसूलाबाद प्रथम, सिठमरा, संदलपुर द्वितीय, शाहजहापुर

अनारक्षित

-असालतगंज, रंजीतपुर, रसूलाबाद द्वितीय, जजमुइया, कटेठी, मवैया, बिरहुन, तिलोंची, संदलपुर प्रथम व उमरन