कानपुर, अमन यात्रा। सरकारी माध्यमिक विद्यालय और वित्तविहीन विद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षाओं को लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती जा रही है। जिले के अधिकतर विद्यालयों में परीक्षा के नाम पर छात्रों से उगाही की जा रही है, जबकि तमाम ऐसे विद्यालय हैं जहां न तो संसाधन हैं और न किसी तरह के इंतजाम। छात्र पढ़कर परीक्षा दे रहे हैं, या नहीं इससे प्रधानाचार्य और प्रबंधक बेफिक्र हैं। हद तो तब हो गई, जब शनिवार को डीआइओएस सतीश तिवारी ने खुद चार विद्यालयों का औचक निरीक्षण कर स्थिति देखी। दरअसल 17 फरवरी से जिले के माध्यमिक विद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षाएं शुरू हुई हैं। उसके बाद रोजाना ही डीआइओएस के पास छात्र-छात्राओं से रुपये वसूलने की सूचनाएं पहुंच रही थीं। ऐसे में शनिवार को डीआइओएस स्वयं अपने अधीनस्थों संग निकले और स्कूलों की गतिविधियों के विषय में जानकारी हासिल कर ली।

जहां मिली गड़बड़ी, वहां के छात्रों की दोबारा परीक्षा कराएंगे

डीआइओएस सतीश तिवारी ने कहा कि जिन विद्यालयों में प्रैक्टिकल के नाम पर मजाक की जानकारी मिलेगी, वहां के छात्रों की दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। यही नहीं, प्रबंधक व प्रधानाचार्य को भी दोषी मानते हुए उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।

25 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं होते हैं शामिल

यूपी बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षा में जिले से 25 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं। इनमें से अधिकतर छात्र-छात्राएं 12वीं के हैं। इस सत्र में छात्र-छात्राओं की प्रयोगात्मक परीक्षा संबंधी गतिविधियों को भी सीसीटीवी की निगरानी में कराने के निर्देश दिए गए हैं।