कानपुर, अमन यात्रा । कोरोना महामारी के दौरान सरसौल के उच्च प्राथमिक स्कूल विपौसी में 14 दिनों की क्वारंटाइन अवधि पूरी करने वाले प्रवासी मजदूरों ने ज्ञान के मंदिर को प्रकृति के रंगों से सराबोर कर दिया। हरे-भरे वातावरण से स्कूल की खूबसूरत छटा देखते ही बनती है। मजदूरों द्वारा लगाए गए रंग- बिरंगे फूलों के पौधे स्कूल के आकर्षण का प्रमुख हिस्सा बन चुके हैं। छायादार पौधे जो एक साल में काफी बड़े हो गए हैं अब ठंडक व सुकून भरी छांव दे रहे हैं। स्कूल के अध्यापक, बच्चे व गांव के लोग मजदूरों की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं।

महामारी के बीच लॉकडाउन के दौरान झंझावातों को झेलते परदेश से मजबूर मजदूर जब अपने गांव – घरों की दहलीज पर पहुंचे तो उनको संक्रमण से सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया। सरसौल ब्लाक के उच्च प्राथमिक स्कूल विपौसी में एक दर्जन से अधिक प्रवासी मजदूर क्वारंटाइन किए गए थे। क्वारंटाइन अवधि के दौरान मजदूरों ने इस आदर्श स्कूल को सजाने – संवारने में अपना सराहनीय योगदान दिया। मजदूरों ने क्वारंटाइन अवधि का सदुपयोग स्कूल को सजाने – संवारने में करके लोगों को एक बड़ा संदेश दिया। स्कूल परिसर में लगे पेड़ों को मजदूर प्रतिदिन पानी देते थे।

सिंचाई ,छटाई व गुड़ाई के द्वारा पेड़ों की खूब सेवा की। इसी दौरान रंग – बिरंगे फूलों व अन्य पौधे लगाकर पूरे स्कूल परिसर को प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण कर दिया।प्रतिदिन मजदूर पूरे परिसर की साफ-सफाई करते थे। आज मजदूरों की मेहनत स्कूल में देखते ही बनती है। जो भी स्कूल के सामने से गुजरता है वो वाह किए बिना नहीं रहता। स्कूल के प्रधानाचार्य वेद नारायण त्रिपाठी की मेहनत ,लगन परिश्रम व क्वारंटाइन मजदूरों के सराहनीय प्रयास व सहयोग से स्कूल की बगिया फूलों से महक रही है। ठंडक व छाया से बच्चों को तपती उमस व गर्मी से निजात मिल रही है।

इनका ये है कहना

स्कूल परिसर में एक सैकड़ा से अधिक विभिन्न पेड़ -पौधे लगे हुए हैं। पिछले साल क्वारंटाइन अवधि के दौरान रुके मजदूरों ने स्कूल को प्रकृति के रंगों से सजाने संवारने में बहुत सहयोग किया। प्रतिदिन सिंचाई व सफाई करते थे। नए पौधे भी लगाए जो अब बड़े हो गए हैं।