कानपुर,अमन यात्रा। मां ऐसी क्या गलती हुई थी जो तुम हमेशा के लिए खामोश हो गई। अब तो आंखें खोल दो, देखो मैं ऑक्सीजन का सिलिंडर लेकर आ गया। डॉक्टर ने कहा था कि सिलिंडर लाने के लिए और मैं बहुत मुश्किल से इंतजाम करके आया हूं। अब क्या होगा। भगवान मेरी मां की सांसें लौटा दो…। यह कहते हुए गुजैनी निवासी श्याम मनोहर हैलट अस्पताल के बाहर रो रहा था। आसपास के लोग मरीजों के तीमारदार उसे सांत्वना देकर समझा रहे थे, लेकिन वह बस सिलिंडर को हाथों में पकड़कर रोता जा रहा था। उसकी मां राधा का हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में उपचार चल रहा था। उसके मुताबिक डॉक्टर और अन्य स्टाफ ने सिलिंडर की व्यवस्था करने के लिए कहा था। वह दोपहर में जैसे ही इमरजेंसी पहुंचा बहन ने मां के खत्म होने की जानकारी दे दी। युवक का रोना देखकर अन्य तीमारदारों ने सिस्टम को जमकर कोसा।

मां के इलाज के लिए मासूम ने जोड़े हाथ : उन्नाव के बांगरमऊ के छोटे लाल की पत्नी सीमा की तबियत खराब थी। वह छह साल के बेटे के साथ एंबुलेंस से हैलट अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा। डॉक्टरों ने महिला को देखा तक नहीं और उसे उर्सला अस्पताल ले जाने के लिए कह दिया। पिता के गिड़़गिड़ाने पर बेटे ने भी हाथ जोड़ लिए। छोटे लाल के मुताबिक डॉक्टरों ने कहा कि यह कोविड अस्पताल है, तुम्हारी पत्नी को नॉन कोविड वाली बीमारी है।

इलाज के लिए भटकता रहा पूर्व सैनिक : कानपुर देहात के रहने वाले पूर्व सैनिक राम स्वरूप द्विवेदी की सांस फूल रही थी। उनमें कोरोना जैसे लक्षण थे। बेटा आलोक उन्हें लेकर पहले फ्लू ओपीडी पहुंचा, लेकिन वहां से इमरजेंसी भेज दिया गया। इमरजेंसी में काफी देर तक इंतजार कराया गया। इसके बाद फ्लू ओपीडी भेजा गया। उनसे भी ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था करने के लिए कहा गया।

बेटे को भर्ती कराने के लिए गिड़गिड़ाए : चौडगरा के 35 वर्षीय सुनील के सीने में तेज दर्द, बुखार और सांस फूल रही थी। घरवालों ने फतेहपुर के नर्सिंगहोम में भर्ती करने का प्रयास किया, लेकिन वहां बेड नहीं मिल सकता। आखिर में वह उर्सला अस्पताल पहुंच गए। यहां पर डॉक्टरों ने बेड फुल होने की बात कही। इस पर पिता फूलचंद्र इमरजेंसी के स्टाफ से गिड़गिडा़ते रहे। उनकी गुहार सुनकर कुछ अन्य तीमारदारों ने भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन मरीज को हैलट ले जाने के लिए बोल दिया गया।

मरने के लिए नहीं छोड़ेंगे मरीज : औरैया निवासी प्रहलाद अपनी मां मीरा को हैलट अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर दूसरे अस्पताल के लिए निकल गया। उसने अस्पताल की अव्यवस्था और अनदेखी पर भड़ास निकाली। उसके मुताबिक मरीज को ऑक्सीजन ही नहीं मिल पा रही है। उन्हें बार बार लाना पड़ रहा है। डॉक्टर और अन्य स्टाफ सही से बात नहीं करते हैं। ऐसे कोई मरीज को भला मरने के लिए छोड़ेगा।

एंबुलेंस से काटते रहे चक्कर नहीं बची जान : शिवली के रंजय पाल दिल्ली में रहने वाले जीजा मुकेश को हैलट अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर पहुंचे। उन्होंने जीजा जीजा कहकर कई बार पुकारा, लेकिन कोई आवाज नहीं आई। एंबुलेंस चालक ने भी सांस टूट जाने का कठोर सच तुरंत कह दिया। आखिर में पुष्टि के लिए इमरजेंसी के अंदर गए। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। रंजय ने रोते हुए कहा कि एंबुलेंस से एक नर्सिंगहोम से दूसरे नर्सिंगहोम तक चक्कर काटते रहे, लेकिन जान नहीं बची। अब दीदी को क्या जवाब देंगे।