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मातृभाषा में देनी होगी बच्चों को शिक्षा

छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में अधिक तेजी से सीखते हैं और चीजों को समझने की क्षमता को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय अब इस मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाने की तैयारी में है। जल्द ही वह इसे लेकर राज्यों के साथ भी चर्चा करने की तैयारी में है।

Story Highlights
  • राज्यों के साथ जल्द ही इस पर होगी विस्तृत चर्चा बनी रणनीति

कानपुर देहात,अमन यात्रा : छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में अधिक तेजी से सीखते हैं और चीजों को समझने की क्षमता को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय अब इस मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाने की तैयारी में है। जल्द ही वह इसे लेकर राज्यों के साथ भी चर्चा करने की तैयारी में है। फिलहाल यह मुहिम सरकारी स्कूलों तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसके दायरे में निजी स्कूलों को भी लाने की योजना बनाई गई है। साथ ही स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में ऐसे शिक्षकों को तरजीह देने की तैयारी है, जो मातृभाषा में भी पढ़ाने में सक्षम हैं। स्कूलों में बच्चों को कम से कम पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा मातृभाषा में देने की सिफारिश वैसे तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी की गई है जिस पर राज्यों को अपने स्तर पर काम करना था लेकिन अब तक के जो रुझान देखने को मिल रहे हैं, उनमें ज्यादातर राज्यों में अभी तक इसे लेकर कोई हलचल नहीं शुरू हुई है। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय अब राज्यों को इसके लिए तैयार करने की रणनीति में जुटा है। पहले तो इसके दायरे में सिर्फ सरकारी स्कूलों को ही रखा गया था लेकिन अब निजी स्कूलों को भी इसमें शामिल किया गया है।

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माना जा रहा है कि यदि इसे सरकारी और निजी स्कूलों में एक साथ नहीं अपनाया गया तो छात्रों के बीच एक बड़ी खाई बन जाएगी। फिलहाल सरकार इस अंतर को पाटने में जुटी है। इसके तहत निजी और सरकारी स्कूलों के बीच समन्वय कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में 15 लाख से ज्यादा स्कूल हैं। इनमें से करीब 86 प्रतिशत स्कूल सरकारी हैं जबकि करीब 22 प्रतिशत स्कूल ही निजी स्कूल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्कूल सरकारी अनुदान प्राप्त भी हैं। हालांकि इनकी संख्या सिर्फ पांच प्रतिशत ही है।

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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