लखनऊ अमन यात्रा । आरंभ जैसा अप्रत्याशित था, वैसा ही अनपेक्षित अंत भी रहा। कृषि कानूनों के विरोध में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में चल रहा प्रदर्शन इतना हिंसक होकर आठ लोगों की मौत का कारण बनेगा, यह किसी को आभास नहीं था। तय है कि भरोसा इस पर भी नहीं होगा कि तमाम अदृश्य कारणों से भड़की चिंगारी यूं देखते ही देखते ठंडी भी हो जाएगी। काली रात में उम्मीदों का सूरज उगते देख रहे विपक्ष के अपने प्रयास शुरू हुए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रात भर जाग कर प्रदेश में मंडरा रही हिंसा की काली छाया को छांटने की जुगत में लगे रहे। भरोसेमंद अफसरों को मोर्चे पर लगाया। यह रणनीतिक कौशल ही है कि प्रदर्शनकारी किसानों के भरोसेमंद राकेश टिकैत को संवाद का सेतु बनाया गया। सुबह तपती धरती पर सुलह की दरी बिछी। किसानों के घावों पर सीएम योगी ने दवा लगाई और दोपहर होते-होते प्रदेश में फिर सुकून, फिर शांति।
लखीमपुर खीरी में रविवार को उपद्रव में किसान और भाजपा समर्थकों की मौत ने प्रदेश भर में सनसनी फैला दी। चूंकि, कृषि कानून विरोधी आंदोलन को विधानसभा चुनाव से पहले हवा देने की भरपूर कोशिश विपक्ष ने की है और इस घटना में आरोपितों में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष का नाम भी है, इसलिए तुरंत राजनीति भी गरमा गई। उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजधानी में नहीं थे। सीतापुर में कार्यक्रम के बाद गोरखपुर पहुंचे थे। वहीं रात्रि प्रवास प्रस्तावित था, लेकिन इधर हालात खराब थे और उधर मौसम।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले तो अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार, मंडलायुक्त लखनऊ रंजन कुमार और आइजी लक्ष्मी सिंह को घटनास्थल पर भेजा। फिर अपना दौरा रद कर राजकीय विमान से रात में ही लगभग 8.30 बजे अपने सरकारी आवास पर पहुंचे। मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल और पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल सहित उन भरोसेमंद वरिष्ठ अफसरों के साथ विचार-विमर्श करने बैठे।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन के अगुआ राकेश टिकैत का लखीमपुर कूच यह अंदेशा खड़ा कर रहा था कि अब यह मुद्दा तूल पकड़ेगा। मगर, नाराज किसानों से बातचीत के लिए सशक्त माध्यम तलाश रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर में टिकैत ही वह व्यक्ति थे, जिनकी बात किसान आसान से मान सकते हैं। उनसे रात में ही संपर्क किया गया। वह पक्ष में किसानों के थे, लेकिन रुख सकारात्मक महसूस हुआ तो सरकार ने उन्हें घटनास्थल तक पहुंचने दिया।
किसानों की मांग राकेश टिकैत ने सरकार के सामने रखी। फिर विचार-विमर्श हुआ और आखिरकार सहमति बन गई। मंत्री के पुत्र सहित 14 आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मृतक आश्रितों को 45-45 लाख रुपये व घायलों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा, मृतक आश्रित परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी और घटना की न्यायिक जांच की मांग पूरी कर सीएम योगी ने किसानों के घावों पर दवा लगा दी। सरकार के बेहतर प्रबंधन का ही नतीजा है कि इतनी बड़ी हिंसक घटना वहीं की वहीं दफन हो गए
इन कदमों से फैलने से रोकी चिंगारी
- लखीमपुर खीरी में तुरंत इंटरनेट सेवा बंद कर धारा 144 लागू कर निषेधाज्ञा जारी कर दी गई।
- नेताओं ने घटनास्थल की ओर रवानगी की, उन्हें रास्ते में रोक दिया गया।
- पूरे प्रदेश में पुलिस-प्रशासन को सतर्क कर दिया गया, ताकि इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप कहीं और कोई घटना न हो जाए।