विद्यालय में भोजन के गुणवत्ता की जाँच हेतु माँ समूह का होगा गठन

सरकारी विद्यालयों में बन रहे दोपहर के भोजन का अब पहला निवाला मां चखेगी। राज्य सरकार ने सभी स्कूलों को आदेश जारी किए हैं कि प्रतिदिन माताओं को भोजन चखाकर मिड-डे मील की गुणवत्ता परखी जाए। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में चलाई जा रही माध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को परखने के लिए गठित मां समूह को पूरी तरह से सक्रिय किया जा रहा है

कानपुर देहात। सरकारी विद्यालयों में बन रहे दोपहर के भोजन का अब पहला निवाला मां चखेगी। राज्य सरकार ने सभी स्कूलों को आदेश जारी किए हैं कि प्रतिदिन माताओं को भोजन चखाकर मिड-डे मील की गुणवत्ता परखी जाए। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में चलाई जा रही माध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को परखने के लिए गठित मां समूह को पूरी तरह से सक्रिय किया जा रहा है। स्कूलों में बनने वाले भोजन को मां समूह की सदस्यों द्वारा पहले चखा जायेगा उसके बाद ही बच्चों के थाली में परोसा जाएगा। जिले में संचालित 1925 परिषदीय स्कूलों में 1.45 लाख बच्चों के लिए एमडीएम बनता है। भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए सभी स्कूलों में छह सदस्यीय मां समूह का गठन पूर्व में ही किया गया था। अब उसमें चेंजमेंट करते हुए नए मां समूह का गठन किया जाना है क्योंकि मां समूह की सदस्य उसी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मां होती हैं। मध्यान्ह भोजन बनने के बाद मां सदस्य द्वारा उसे चखा जाता है उसके बाद सबकुछ ठीक होने के बाद ही बच्चों को परोसा जाता है।

यह समूह भोजन के साथ साथ रसोईघर की सफाई समेत अन्य बिंदुओं पर नजर रखती हैं लेकिन अधिकांश स्कूलों में समूहों के सक्रिय न होने की दशा पर हाल में नए मां समूह के गठन के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल काफी समय से ऐसी शिकायतें जिम्मेदारों तक पहुंच रही थीं कि स्कूलों में मिलने वाले खाने में मनमानी की जा रही है। न केवल मेन्यू में मनमानी हो रही है बल्कि खाने की गुणवत्ता भी टीक नहीं है। यही कारण है कि बच्चों की स्कूल पहुंचने में रुचि भी बहुत ज्यादा नहीं रहती है। इस बात की जरूरत महसूस की गई कि स्कूलों में बनने वाले खाने पर पूरी नजर रखी जाए और किसी तरह की मनमानी न हो। परिषदीय स्कूलों में गठित मां समूह की सदस्यों द्वारा भोजन की गुणवत्ता के साथ पर्याप्त भोजन, दूध, फल वितरण पर नजर रखती हैं। इसके अलावा बर्तनों की साफ सफाई, मेन्यू के अनुसार भोजन पकाना शामिल है।

Author: anas quraishi

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