व्यायाम और उसका महत्व
ज्यादातर लोगों का यही सोचना है कि हम जितना अच्छा आहार लेंगे, हमारा स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होगा । बात भी सत्य है लेकिन मनुष्य यदि शरीर को चलायमान रखने वाले कामों से विरत रहा तो वह निश्चित ही अनेक जटिल बीमारियों का शिकार हो जाता है।
पैंतीस वर्ष की अवस्था के बाद एक समय ऐसा आता है कि जब मनुष्य के शरीर पर उसके खान-पान का गलत असर पड.ने लगता है। ऐसी परिस्थिति में उसके द्वारा चुना गया गलत भोजन भी अक्सर उसे नुकसान पहुॅचाता है। थोड़ा गौर करें तो पायेंगे कि ढलती उम्र में मीठी वस्तुयें अधिक खाने से मनष्ुय को शुगर की बीमारी होने की शंका रहती है जबकि अधिक वसा युक्त वस्तुयें खाने से शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ.ती है जो अनेक जटिल बीमारियों का जनक बन जाता है। ऐसे में व्यायाम ही एक ऐसा उपाय है जो शरीर को सुदृढ. बनाये रखने में सहायक है और अनेक गम्भीर बीमारियों से छुटकारा भी दिलाता है। यही नहीं अगर हम अच्छे खान-पान के साथ-साथ व्यायाम को भी महत्त्व दें तो शरीर तमाम बीमारियों से तो खुद ही निपट लेता है।
मानव शरीर में रक्त का संचार दुरस्त रखने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। इससे शरीर की कार्य क्षमता बढ. जाती है और उसमें एक नई स्फूर्ति का संचार होता है जिससे शरीर सुदृढ. और क्रियाशील बना रहता है। इतना ही नहीं, व्यायाम से मानसिक और शारीरिक संवेग बढ. जाता है। जो व्यक्ति को सुख और शक्ति प्रदान करता है । सुबह शौच के बाद टहलना, हॉकी, फुटबाल और बालीबाल खेलना, आसन करना, दौड. लगाना आदि सभी व्यायाम ही तो हैं जबकि औरतों के अनेक घरेलू काम(चक्की पीसना,बरतन मांजना,कपड.े धोना) ऐसे होते हैं जिससे उनका व्यायाम स्वतः हो जाता है।
व्यायाम के लिए क्या सावधानियॉ अपनानी हैं, इस बारे में यह जानना आवयक है कि नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए चाहे थोडे. समय ही किया जाये। उसे बीच-बीच में छोड.ने से शरीर में आलस्य व सुस्ती आने लगती है। व्यायाम सदैव खुले एवं हवादार और स्वच्छ स्थान पर करना चाहिए जिससे शरीर को शुद्ध वायु द्वारा पर्याप्त आक्सीजन मिल सके। स्नान व भोजन से पूर्व व्यायाम करना अधिक लाभदायक होता है लेकिन व्यायाम उतना ही किया जाये जिससे शरीर में थकावट का अनुभव न हो। शुरुआत में सरल व्यायाम करें, फिर धीरे-धीरे कठिन व्यायाम की ओर बढे.। बूढे., बच्चों और रोगियों को व्यायाम से बचना चाहिए।
झुके कॅधे और रीढ. का झुकाव व्यायाम करने से ठीक हो जाता हैं। मॉसपेषियॉ क्रियाषील रहती हैं तथा शरीर में आलस्य समाप्त हो जाता है। व्यायाम से शरीर सुन्दर, स्वस्थ, स्फूर्तिदायक तथा मन प्रसन्न रहता है, इससे खोई हुई शक्ति प्राप्त हो जाती है। रोज और सही समय पर व्यायाम करने से श्वांस द्वारा कार्बन डाईआक्साइड और पसीने द्वारा लवण, यूरिया अम्ल शरीर से बाहर निकल जाते हैं। व्यायाम करते समय तेज श्वांस चलने से फेफडे. मजबूत होते हैं तथा शरीर को अधिक आक्सीजन मिलने से रक्त शुद्ध हो जाता है।इससे रुधिर की गति और भूख में वृद्धि होती है।
वास्तव में व्यायाम मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और नियमित क्रिया है जिससे उसके शरीर को एक विशेष प्रकार की ऊर्जा शक्ति मिलती है और शरीर हृष्ट -पुष्ट बन जाता है। इसलिए व्यायाम उस व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए जो अपने जीवन में जीने का आनन्द लेना चाहता है।
रामसेवक वर्मा
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