कानपुर देहात। चुनावी दहलीज पर खड़ी केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की तरफ सैकड़ों शिक्षामित्र टकटकी लगाकर देख रहे हैं। उनको उम्मीद है कि चुनावी बेला पर केन्द्र सरकार की मदद से उनके लिए कोई कल्याणकारी घोषणा हो सकती है। न केवल मानदेय के मोर्चे पर बल्कि उनके लिए विशेष प्रावधानों की घोषणा की लालसा शिक्षामित्रों में काफी अरसे से है।
सरकार द्वारा कुछ साल पहले गठित की गई हाईपावर कमेटी की अनुशंसाओं पर भी शिक्षामित्रों की नजरें हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हैं। यह बताते हैं कि शिक्षामित्रों के जीवन में 2017 के बाद से कितना बदलाव आया है। 2014 एवं 2015 में दो चरणों में सहायक शिक्षक पद पर समायोजित किए गए जिले के लगभग ढाई हजार शिक्षामित्रों ने शिक्षक पद पर रहने के दौरान कई सपने बुन लिए थे। कुछ तो उस दिशा में आगे भी बढ़ गए थे लेकिन समय ने फिर से करवट ली और सब फिर से वहीं पहुंच गए। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाए जाने के बाद अनेक शिक्षामित्रों ने 68500 व हालिया 69000 शिक्षक भर्ती में सफलता प्राप्त कर सहायक शिक्षक का पद हासिल कर लिया लेकिन अधिसंख्य शिक्षामित्रों को असफलता ही हाथ लगी।
बीमार होने पर मांगी जाती है मदद-
कई शिक्षामित्रों के हालात ऐसे हैं कि उन्हें गंभीर बीमारी होने पर शिक्षकों व उनके साथियों से चंदा मांगकर इलाज कराया जाता है।
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