सम्पादकीयसाहित्य जगत

“शिव की विचित्रता में निहित सरलता”

अमन यात्रा

ओढ़रदानी, महेश्वर, रुद्र का स्वरूप सभी देवताओं से विचित्र है, पर यदि आप शिवशंभू की वेश भूषा का विश्लेषण करेंगे तो आपको शिव जीवन के सत्य का साक्षात्कार कराते दिखाई देंगे। यह शिव कपूर की तरह गौर वर्ण है, पर सम्पूर्ण शरीर पर भस्म लगाकर रखते है और दिखावे से दूर जीवन को सत्य के निकट ले जाते है। यह भस्म जीवन के अंतिम सत्य को उजागर करती है। अतः शिव शिक्षा देते है कि सदैव सत्य को प्रत्यक्ष रखें। यह शिव जटा मुकुट से सुशोभित होते है। जिस प्रकार शिव जटाओं को बाँधकर एक मुकुट का स्वरूप देते है वह यह शिक्षा देती है की जीवन के सारे जंजालों को बाँधकर रखों और एकाग्र होने की कोशिश करों, समस्याओं के जाल को मत फैलाओं। उसे समेटने की कोशिश करों। वे किसी भी प्रकार का स्वर्ण मुकुट धारण नहीं करते अतः मोह माया से शिव कोसों दूर है। शिव के आभूषण में भी सोने-चाँदी को कोई भी स्थान नहीं है। वे विषैले सर्पों को गलें में धारण करते है, अर्थात वे काल को सदैव स्मरण रखते है।

शिव के भीतर और बाहर विष है पर वे सदैव शांत रहकर ध्यानमग्न रहते है। वे यह शिक्षा देते है कि भीतर का विष भीतर ही रहने दो, बाहर मिले विष से भी व्यथित मत हो। शिव की सादगी और सरलता देखिए की अपने भक्तों की सर्वस्व मनोकामना पूरी करने वाले शिव एक पर्वत पर निवास करते है। वस्त्र में केवल बाघंबर धारण करते है। जब शिवजी की बारात गई तब भी भोले शंकर ने किसी भी प्रकार का दिखावा और आडंबर नहीं किया। जो सत्य स्वरूप वे हमेशा रखते है उसी के साथ वे प्रत्यक्ष हुए। महादेव की तो अनूठी विशेषता है ही, उनके परिवार की भी अपनी विशेषता है जिसके कारण उनका सम्पूर्ण परिवार पूजा जाता है और शिव सदैव अपने भक्त नंदी को भी प्रधानता देते है। यही शिव लिंग स्वरूप में सदैव अपने भक्तों के मनोरथ को पूरा करते है और इस लिंग स्वरूप में भी वे अपनी अर्धांगिनी शक्ति को सदैव साथ रखते है।

शिव यह भी ज्ञान देते है की वे निराकार, अजन्मा, अविनाशी और अनंत है। शिव की सरलता का तो कोई पार ही नहीं है। वे तो अपने भक्त को कहते है जो कुछ भी सहजता से उपलब्ध हो वही मुझे अर्पित कर दो। मेरी भक्ति के लिए कोई बाध्यता ही नहीं है। भावों की माला से यदि जलधार भी चढ़ाओंगे तो वह भी मुझे स्वीकार्य है। सच में शिव कल्याण का ही दूसरा नाम है जो केवल दिखावे से दूर, आडंबर से मुक्ति, सत्य से साक्षात्कार और एकाग्र होकर राम नाम में रमण करने के प्रेरणा देते है। तो आइये शिव के प्रिय माह और प्रिय वार अर्थात सावन सोमवार को भावों की माला से शिव को भजने का प्रयास करें।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button