भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर हर हाल में फतह करना चाहती थी ताकि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में पार्टी की मजबूती और लोकप्रियता का संदेश जाए। इसीलिए पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री कमल रानी वरुण की पुत्री स्वप्निल को टिकट दिया था। स्वप्निल की जीत के लिए सांसद सत्यदेव पचौरी, देवेंद्र सिंह भोले और सांसद अशोक रावत के साथ ही सभी विधायकों और एलएलसी ने ताकत झोंक दी थी। इसी का परिणाम है कि छह निर्दलीय व निषाद पार्टी का एक सदस्य पहले ही भाजपा के खेमे में आ गए।

 

कुछ ऐसी थी स्थिति: इस चुनाव में भाजपा के पास नौ सदस्य थे। सपा के पास 11, छह निर्दलीय, पांच बसपा और निषाद पार्टी का एक सदस्य था। भाजपा की स्वप्निल ने न सिर्फ सपा के छह सदस्यों को अपने पक्ष में किया बल्कि बसपा के पांच सदस्य भी उनके साथ गए। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी भी भाजपा के समर्थन में आए। परिणाम घोषित कर दिया गया। भाजपा की उम्मीदवार के साथ 21 सदस्य वोट देने सुबह आए थे, जबकि सपा उम्मीदवार राजू दिवाकर के साथ आए 11 सदस्य में से छह गच्चा दे गए। भाजपा ने 27 वोट मिलने का दावा किया था लेकिन दो अवैध मत हो गए।

 

जीत से पहले ही शुरू हो गया था जश्न: जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी स्वप्निल वरुण ने खुद को विजेता मानते हुए समर्थक सदस्यों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मिठाई का वितरण शुरू कर दिया था। भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए सदस्यों को होटल विजय विला से एक बस में लाया गया था। बस में भाजपा विधायक उपेंद्र पासवान, भगवती सागर, अभिजीत सिंह सांगा भी साथ में थे। होटल से रवाना करते समय औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक और तीनों जिलाध्यक्ष भी मौजूद रहे। स्वप्निल में रवानगी से पहले सभी सदस्यों को तिलक लगाया और जीत के लिए समर्थन मांगा।