राजेश कटियार, कानपुर देहात। समेकित शिक्षा के अन्तर्गत विकास सरवनखेड़ा में 94 शिक्षकों को स्पेशल एजूकेटर के द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को समावेशी शिक्षा के बारे में संदर्भदाता सुरसरि प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि यह एक ऐसी शिक्षा प्रणाली जिसमें सब प्रकार के छात्र, विशिष्ट या दिव्यांग के लिए एक ही शिक्षा स्तर की जांच की जाती है।
इसका उद्देश्य शारीरिक दोषयुक्त विभिन्न बच्चों की विशेष आवश्यकताओं की पहचान कर उसका निर्धारण करना है। विशिष्ट बच्चे सामान्य या औसत बच्चों से निश्चित रूप से काफी अधिक अलग एवं भिन्न होते हैं। इन्हें वातावरण से समायोजित करने के लिए वातावरण को इनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलित करने की आवश्यकता होती है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत दिव्यांगता की श्रेणियों को सात से बढ़ाकर इक्कीस कर दिया गया है। आप सबको स्कूल में अध्ययनरत बच्चों की पहचान इक्कीस प्रकार की दिव्यांगता में से करनी है।
सुनैना वर्मा ने कहा कि जब तक आप सभी प्रकार की दिव्यांगता के लक्षण की पहचान के बारे में समझ विकसित नहीं कर पाएंगे तब तक आप 21 प्रकार की दिव्यांगताओं में से किस प्रकार की दिव्यांगता बच्चों के अंदर है इसकी पहचान नहीं कर पाएंगे। उन्होंने सभी के चिन्हांकन के बारे में बताया। अभिषेक शुक्ला ने बताया की इन बच्चों को किस प्रकार स्कूल में शिक्षा देनी है उन्होंने कहा कि पूर्ण दृष्टि दिव्यांग बच्चों के लिए स्पर्शीय चित्र, स्पर्शीय ग्लोब, स्पर्शीय मानचित्र, लार्च प्रिंट सामग्री आदि का प्रयोग किया जाता है।
खंड शिक्षा अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने सम्पान अवसर पर प्रतिभागियों से कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों का पूर्णरूपेण पालन करना है। आज भी समाज में दिव्यांग बच्चों को समानता का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। आप सभी परिवार सर्वे के समय इन बच्चों की पहचान कर उनका प्रवेश विद्यालय में करें साथ ही जो बच्चे स्कूल आने में असमर्थ हैं उनको स्पेशल एजूकेटर घर जाकर सिखाने का कार्य करें।
कम्प्यूटर अनुदेशक ऋषभ बाजपेई ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। प्रशिक्षण में एआरपी संजय शुक्ला, रुचिर मिश्रा, मनोज कुमार, जफर अख्तर, निरुपम तिवारी, हंसराज, रेखा भाटिया, अन्नू सचान, उमेश राठौर, ज्योति मिश्रा, ज्योति यादव आदि उपस्थित रहे।
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