अच्छी सेहत

हड्डियों की देखरेख

हड्डियों से जुड़ी समस्या अब आम हो गई हैं। हमें अपनी उम्र के हिसाब से इनकी देखभाल करनी चाहिये। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती रहती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है।

हड्डियों से जुड़ी समस्या अब आम हो गई हैं। हमें अपनी उम्र के हिसाब से इनकी देखभाल करनी चाहिये। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती रहती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर 10 में से करीब 4 महिलाओं और 4 में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी कोई न कोई समस्या जरूर घेरे है। हड्डियां रातोंरात कमजोर नहीं होती हैं, इस प्रक्रिया में सालों-साल चलती है। डाक्टरों का मानना है कि 15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चलकर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले कारक बनते हैं। हड्डियों की कैसे देखभाल की जाये बता रहे हैं हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. अमन सूद।

पंचामृत:-

-हड्डियों की मजबूती के लिए सैर बेहद जरूरी है। क्योंकि इससे मांसपेशियों खिंचाव होता है, जिससे हड्डियां मजबूत रहती हैं।

-अच्छी प्रोटीन डाइट जैसे दालें, अंडा, राजमा, सोयाबीन के अलावा दूध वाले आहार लेने चाहिए। हड्डियों के लिए फायदेमंद हैं।

-बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं की हड्डी कमजोर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, क्योंकि इससे उनमें कैल्शियम की कमी हो जाती है। इसके लिए महिलाओं को चाहिए कि वह दो वक्त दूध, हर सब्जी आदि जरूर लें।

-40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती है। महिलाओं में इस्ट्रोजन हारमोन की कमी हो जाती है जिससे फ्रेक्चर हो जाता है। इसलिए नियमित सैर व आहार बेहद जरूरी है।

-बच्चों की ग्रोथ के लिए भी विटामिन डी-3 व कैल्शियम का होना अति आवश्यक है। जब तक बच्चों में ये नहीं होगा बच्चों का शारीरिक रूप से विकास नहीं होगा।  हड्डियों की मजबूती के लिए बच्चों को धूप सेकना भी अति आवश्यक हैं।

बचपन से ही रखें ख्याल:- बिगड़ती जीवनशैली, जंक फूड, बढ़ता वजन, घटती आउट डोर एक्टिविटी का असर बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। बच्चों में हड्डी की कमजोरी को रिकेट्स कहते हैं, जबकि बड़ों में इसे ऑस्टियोमैलेशिया व ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। बच्चों में रिकेट्स  विटामिन डी, कैल्शियम की कमी तथा पूर्ण रूप से सूर्य की किरणें न मिल पाने के कारण होता है। आधुनिक जीवनशैली और कंप्यूटर पर लगातार निर्भरता के कारण युवाओं में हड्डी से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। व्यायाम न करने से शरीर कैल्शियम ग्रहण नहीं कर पाता और हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जिससे फ्रैक्चर, जांघ की हड्डियों में फासला बढ़ने, जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने और स्लिप डिस्क की समस्याएं घेरने लगती हैं।

ड्राइव करते हुए:-

-सीट पर बैठते समय घुटने हिप्स के बराबर या थोड़े ऊंचे हों। सीट को स्टेयरिंग के पास रखें, ताकि कमर के लचीलेपन को सपोर्ट मिल सके।

-कमर के निचले हिस्से में सपोर्ट के लिए छोटा तौलिया या लंबर रोल रखें। इतना लेग-बूट स्पेस जरूर हो, जिसमें आराम से घुटने मुड़ सकें और पैर पैडल पर आराम से पहुंच सकें। काम करते समय स्क्रीन पर देखने के लिए झुकना न पड़े और न ही गर्दन को जबरन ऊपर उठाना पड़े।  कुहनी और हाथ कुर्सी पर रखें। इससे कंधे रिलैक्स्ड रहेंगे।

-कुर्सी लोअर बैक को सपोर्ट करने वाली हो। पैरों के नीचे सपोर्ट के लिए छोटा स्टूल या चैकी रखें। किसी भी मुद्रा में 30 मिनट से ज्यादा लगातार न बैठें। दो घंटे के बाद सीट से अवश्य उठें।

 

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

AD
Back to top button