प्रयागराज

हाथरस मामले पर मचे कोहराम के बीच क्या है महिला सुरक्षा के दावों की जमीनी हकीकत ?

हाथरस में हुई हैवानियत के बीच महिला सुरक्षा के दावों की जमीनी हकीकत सामने आई है. जानिए प्रयागराज का हाल.

Ground Reality check on womes safety and security in prayagraj in view of Hathras Gangrape case ANN

प्रयागराज,अमन यात्रा । हाथरस में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली सनसनीखेज वारदात के सामने आने और इस पर पूरे देश में कोहराम मचने के बाद भी संगम नगरी प्रयागराज की पुलिस महिला सुरक्षा को लेकर कतई गंभीर नहीं हुई है. हाथरस की घटना के बावजूद यहां सड़कों पर न तो एंटी रोमियों स्क्वायड नज़र आ रहा है और न ही महिला पुलिस की शक्ति मोबाइल टीमें. भीड़ भाड़ भरे बाज़ार हों या फिर शॉपिंग माल. पार्क हों या दफ्तर या फिर युनिवर्सिटी का कैम्पस में, सभी जगहों पर पड़ताल करने पर हमें महिला पुलिस की कोई टीम कहीं नज़र नहीं आई.
सुरक्षा में लापरवाही का यह आलम तब है जब प्रयागराज में हर रोज़ छेड़खानी की एक वारदात और हफ्ते में रेप की दो घटनाएं सरकारी रिकार्ड में दर्ज होती हैं. हालांकि कड़वी हकीकत यह है कि यह वो मामले हैं, जिनमे पीड़ित और उसका परिवार हिम्मत जुटाकर शिकायत दर्ज करा देता है. जबकि ज़्यादातर मामलों में शर्म -बदनामी और समाज की परवाह करते हुए लोग थाने और अफसरों तक जाते ही नहीं हैं. प्रयागराज में एक साल जनवरी से सितम्बर महीने तक रेप की 77 वारदातें पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हुई हैं. यह आंकड़ा हर हफ्ते औसतन दो का है. इसी तरह सितम्बर महीने तक जिले में छेड़खानी और यौन उत्पीड़न के 267 केस दर्ज हुए हैं. यानी तकरीबन हर रोज़ एक. घरेलू हिंसा के आंकड़े भी कुछ इसी तरह से हैं.
बीजेपी के ‘गढ़’ का हाल!
यह हाल तब है जब कोविड की महामारी के चलते जिले में लम्बे अरसे तक लॉकडाउन रहा है और लोग घरों में ही कैद थे. प्रयागराज में रेप -छेड़खानी और महिलाओं के साथ हिंसा के जो मामले पुलिस ने दर्ज किये हैं, उनमे से करीब सत्तर फीसदी में अभी पुलिस की विवेचना ही नहीं पूरी हुई है. तमाम मामलों में पीड़ित के बयान तक दर्ज नहीं हुए हैं. मामले कोर्ट में पहुंचने पर ट्रायल कब शुरू होगा और केस का निपटारा कब होगा, यह कोई बताने वाला नहीं. प्रयागराज में पुलिस और सरकारी सिस्टम का यह हाल तब है जब यह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत योगी सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों सिद्धार्थनाथ सिंह और नंद गोपाल गुप्ता नंदी का शहर है. यहां की दोनों सांसद भी महिलाएं हैं. बीजेपी की एक विधायक भी महिला है, लेकिन हाथरस पर मचे कोहराम के बीच ग्राउंड रियलिटी चौंकाने वाली है.
महिलाओं को लगता है डर
यही वजह है कि प्रयागराज की महिलाएं आज भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. घर से बाहर निकलने में असहज महसूस करती हैं और उन्हें डर भी लगता है. उनका कहना है कि सिस्टम और पुलिस पर उन्हें कतई भरोसा नहीं रह गया है. दूसरी तरफ जिले के पुलिस कप्तान सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी सब कुछ चुस्त दुरुस्त होने के कागजी दावे करने में कतई पीछे नहीं हैं. उनका कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उनका महकमा पूरी तरह सजग और मुस्तैद हैं. लगातार चेकिंग की जा रही है. गश्त बढ़ाई गई है. हर शिकायत पर कड़ी कार्रवाई की जाती है. उनका यह भी दावा है कि महिला अपराधों से जुड़े मामलों में विवेचना जल्द से जल्द पूरी करने का निर्देश मातहतों को दिया गया है. हालांकि उनके यह दावे हकीकत से कहीं मेल नहीं खाते.

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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