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हस्तिनापुर में 69 साल बाद फिर उत्खनन, महाभारत संबंधी साक्ष्य मिलने की उम्मीद

किंवदंतियों और जनश्रुतियों में हस्तिनापुर को ही महाभारतकालीन माना जाता है। कई बार उजड़े और बसे हस्तिनापुर से कई सभ्यताओं के साक्ष्य जिनमें महाभारत कालीन पीजीडब्ल्यू (चित्रित धूसर मृद भांड ) तो मिले पर पुरातत्व विभाग अकाट्य प्रमाण के लिए 69 साल बाद फिर उत्खनन में जुट गया है।

मेरठ,अमन यात्रा l  किंवदंतियों और जनश्रुतियों में हस्तिनापुर को ही महाभारतकालीन माना जाता है। कई बार उजड़े और बसे हस्तिनापुर से कई सभ्यताओं के साक्ष्य जिनमें महाभारत कालीन पीजीडब्ल्यू (चित्रित धूसर मृद भांड ) तो मिले पर पुरातत्व विभाग अकाट्य प्रमाण के लिए 69 साल बाद फिर उत्खनन में जुट गया है। 1950-1952 में भारतीय पुरातत्व के पितामह माने जाने वाले विश्व प्रसिद्ध प्रो. बीबी लाल की अगुवाई में उत्खनन के दौरान लगभग 3200 वर्ष पुराने मृदभांड व अन्य अवशेष मिले थे। अब उल्टा खेड़ा के अमृत कूप के निकट ट्रेंच लगाकर एएसआइ की टीम ने करीब दो मीटर तक उत्खनन कर लिया है।

यहां मध्यकालीन अवशेष ही मिले हैं। विभाग को उम्मीद है कि करीब 18-20 मीटर तक खोदाई करने पर महाभारतकाल के प्रमाण हाथ लग सकते हैं।

69 साल पहले पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली की टीम ने डा. बीबी लाल के नेतृत्व में हस्तिनापुर के बारहखंभा, उजड़ी खेड़ी, और कस्बा बहसूमा में 18 मीटर गहराई तक खोदाई की थी। उस समय जो वस्तुएं मिलीं थी वह अलग-अलग कालखंड की थीं। हालांकि उनकी वैज्ञानिक जांच या महाभारतकाल से इनका कनेक्ट करता कोई दस्तावेज नहीं तैयार किया गया। विभाग का कहना है कि अब जो वस्तुएं मिलेंगी उनकी वैज्ञानिक जांच कराई जाएगी। इन सभी स्थानों में से वर्तमान में उल्टाखेड़ा, रघुनाथ महल व आसपास स्थानों की खोदाई होगी।

हस्तिनापुर की खोज हो जाने पर बढ़ जाएगा गौरव

पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वही हस्तिनापुर है जिसका वर्णन महाभारत में है। यहां वर्षों से बोर्ड भी लगा है कि पांडव टीला पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, मगर उस पर शोध या उत्खनन दुबारा न हो सका। अब इसके लिए एएसआइ को बजट मिला तो काम शुरु हुआ। यहां से अब जो कुछ निकलेगा वह भारत के प्राचीन इतिहास को गौरव प्रदान करेगा। केंद्र सरकार द्वारा मेरठ को आगरा सर्किल से अलग करनया सर्किल बनाने से इस क्षेत्र में खोज को नई दशा और दिशा मिलती रहेगी। मेरठ शहर में पुरातत्व मंडल का कार्यालय होने के बावजूद हस्तिनापुर में भी कार्यालय खोला गया। इस कार्यालय का पूरा ध्यान हस्तिनापुर व आसपास जिलों के महाभारत कालीन स्थलों पर रहेगा। हस्तिनापुर व आसपास के जिलों में खोदाई से जो भी वस्तुएं प्राप्त होंगी, उन्हें हस्तिनापुर में बनने वाले राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाएगा। इसकी घोषणा दो साल पहले बजट भाषण में की गई थी। दरअसल, यहां पर राष्ट्रीय स्तर का आइकोनिक साइट प्रस्तावित है, राष्ट्रीय संग्रहालय उसी का हिस्सा है।

इन्होंने कहा…

महाभारत कालीन साक्ष्य खोजने के लिए खोदाई शुरू कर दी गई है। जो भी साक्ष्य मिलेंगे उन्हें वैज्ञानिक जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। अभी तक दो मीटर की खोदाई में मध्यकालीन भारत के साध्य मिले हैं। उम्मीद है कि 10-15 दिन बाद खोदाई में कुछ चौंकाने वाले साक्ष्य हासिल होंगे।

-डा. डीबी गडऩायक, पुरातात्विक अधीक्षक व पुरातत्वविद, मेरठ पुरातत्व मंडल।

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pranjal sachan
Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा

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