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घाटमपुर विधानसभा सीट पर क्या है राजनीतिक परिदृश्य और क्या चल रहा जनता के बीच, पढ़िए- ये खास रिपोर्ट

यूपी विधानसभा में कानपुर की दस में से एक घाटमपुर विधानसभा सीट पर हमेशा क्षेत्रीय प्रत्याशियों के बलबूते चुनाव हुआ। यहां के मतदाताओं ने हमेशा प्रदेश या राष्ट्रीय मुद्दों से ऊपर क्षेत्रीय मुद्दे को रखकर ही वोट दिया। हालांकि इस बार स्थिति दूसरी है। नगर और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इस बार क्षेत्रीय प्रत्याशियों से उतना मतलब नहीं है, जितनी दिलचस्पी इसे लेकर है कि प्रदेश में कौन सरकार बनाएगा। घाटमपुर सीट सुरक्षित है और यहां एससी-एसटी के बाद ब्राह्मण मतदाता जीत-हार तय करने की हैसियत रखने हैं। इस बार ब्राह्मण, क्षत्रिय व अन्य जातियां इस पशोपेश में भी हैं कि किस प्रत्याशी के साथ जाने पर उन्हें बाद में भी सम्मान मिलेगा।

कानपुर, अमन यात्रा । यूपी विधानसभा में कानपुर की दस में से एक घाटमपुर विधानसभा सीट पर हमेशा क्षेत्रीय प्रत्याशियों के बलबूते चुनाव हुआ। यहां के मतदाताओं ने हमेशा प्रदेश या राष्ट्रीय मुद्दों से ऊपर क्षेत्रीय मुद्दे को रखकर ही वोट दिया। हालांकि इस बार स्थिति दूसरी है। नगर और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इस बार क्षेत्रीय प्रत्याशियों से उतना मतलब नहीं है, जितनी दिलचस्पी इसे लेकर है कि प्रदेश में कौन सरकार बनाएगा। घाटमपुर सीट सुरक्षित है और यहां एससी-एसटी के बाद ब्राह्मण मतदाता जीत-हार तय करने की हैसियत रखने हैं। इस बार ब्राह्मण, क्षत्रिय व अन्य जातियां इस पशोपेश में भी हैं कि किस प्रत्याशी के साथ जाने पर उन्हें बाद में भी सम्मान मिलेगा। घाटमपुर के मतदाताओं के मिजाज को परखती उदयन शुक्ला की रिपोर्ट..।

क्या बन रहा राजनीतिक दृश्य : घाटमपुर विधानसभा सीट पर 2017 से पहले भाजपा जीत के लिए तरसती रही। मंदिर आंदोलन के समय जब पूरे देश में रामलहर थी तब भी भाजपा को घाटमपुर सीट पर हार झेलनी पड़ी। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की कमलरानी वरुण ने जीत हासिल की। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में फिर से भाजपा प्रत्याशी उपेंद्रनाथ पासवान ने जीत हासिल की। अब भाजपा ने यह सीट गठबंधन के पाले में डाल दी है और अपनादल (एस) से सरोज कुरील चुनाव लड़ रही हैं। इस बार टिकट वितरण में सभी पार्टियों ने यहां के राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को धता बताया है। कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं है, जो इस सीट से पहले विधायक रह चुका हो। सपा प्रत्याशी को छोड़ दें तो अन्य अभी तक विधायक ही नहीं बने हैं। इसलिए तुलना भी इस बार क्षेत्रीय प्रत्याशियों के कामों को लेकर नहीं हो रही। मतदाताओं की नजर इस पर है कि उनके वोट से किस पार्टी को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही जातीय समीकरणों पर भी निगाहें हैं। मवेशियों की समस्या, नगर में जाम और जलनिकासी की समस्या से नाराजगी तो है, लेकिन वो इतनी नहीं की बड़ी संख्या में वोटों में हेरफेर करे।

क्या चल रहा आम जन के बीच : जहानाबाद रोड स्थित एक टी-स्टाल पर सुबह-सुबह राजनीतिक चर्चा होने लगी तो ज्यादातर लोगों ने सीएम का चेहरा देखकर वोट देने की बात कही। इस दौरान वहीं खड़े निलय पांडेय ने कहा कि सभी पार्टियों ने पायलट प्रत्याशी उतारे हैं। हम जिन्हें विधायक बनाने जा रहे हैं, उन्हें सही से नहीं जानते। ऐसे में किसके प्रति क्या धारणा बनाई जाए? वहीं, खड़े अरविंद मिश्रा कहते हैं कि सपा यहां से इस बार अच्छा चुनाव लड़ सकती थी, लेकिन बिल्हौर से आए भगवती सागर भाजपा का नाराज वोट नहीं खींच पाएंगे। आगे बढ़े तो बिल्लू होटल के पास चुनावी चर्चा चल रही थी। बड़े मुन्ना सिंह ने कहा कि गांवों में मवेशियों की समस्याएं हैं, घाटमपुर में भी जाम और जल निकासी की समस्या है, लेकिन चुनाव में ये नाराजगी असर नहीं दिखाएगी। दिनेश शुक्ला कहते हैं कि भाजपा गठबंधन प्रत्याशी सरोज कुरील और कांग्रेस के राजनारायण कुरील में टक्कर हो सकती है। वहीं, बैठे लालन सिंह उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि राजनारायण अगर बसपा से लड़ते तो बात दूसरी थी। सरोज कुरील की टक्कर सपा के भगवती सागर से होगी। वहीं, खड़े बाते सुन रहे नगर पालिका में आउटसोर्सिंग में लगे सफाई कर्मी तपाक से बोल पड़ा- हमें तो नहीं मालूम कि सपा से कौन खड़े हैं? लेकिन, हमार वोट सपा का जई।

इस बार कौन हैं प्रत्याशी

सरोज कुरील – भाजपा-अपना दल

भगवती सागर – समाजवादी पार्टी

राजनारायण कुरील – कांग्रेस

प्रशांत अहिरवार – बसपा

2020 उपचुनाव परिणाम

प्रत्याशी और पार्टी- मिले वोट- वोट प्रतिशत

उपेंद्र नाथ पासवान (भाजपा) 60,405 – 38.36

डॉ. कृपा शंकर (कांग्रेस) 36,585 – 23.23

कुलदीप संखवार (बसपा) 33, 955 – 21.56

इंद्रजीत कोरी (सपा) 22,735 – 14.44

विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

महिला 1,46,731

पुरुष 1,75826

अन्य 05

कुल 3,22,562

जातिगत आंकड़ा प्रतिशत में

दलित 34

ब्राह्मण 14

मुस्लिम 9

ठाकुर 7

यादव 6

निषाद 7

कुशवाहा 4

कुर्मी 5

पाल 5

अन्य 9

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Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा

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