लखनऊ,अमन यात्रा । बड़ी विकास परियोजनाओं और माफिया राज पर कठोर कार्रवाई के ‘डबल इंजन’ से चल रहे भाजपा के प्रचार रथ को मुद्दों का नया ईंधन मिल गया है। अभी पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में मतदान होना है, उससे पहले संयोग से ठंडे बस्ते से आतंकवाद और नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन के ऐसे मुद्दे निकल आए हैं, जो भाजपा के लिए अस्त्र का काम कर सकते हैं। अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में फांसी की सजा पाए आतंकी का सपा कनेक्शन मजबूती से प्रचारित करने के लिए भाजपा ने इंटरनेट मीडिया पर मोर्चा संभाल लिया है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने पहले और दूसरे चरण के मतदान में किसान हित के काम के साथ ही माफिया राज पर ठोस कार्रवाई की तलवार खूब भांजी। उसका असर कितना रहा, यह दस मार्च को परिणाम सामने आने के बाद स्पष्ट होगा, लेकिन कानून व्यवस्था एक मुद्दा जरूर बना हुआ है। अब तीसरे चरण का मतदान रविवार को होना है। सपाई गढ़ में खास तौर पर भाजपा ने खास तौर पर सपा शासन काल को गुंडाराज और परिवारवाद के आरोप लगाकर ही याद दिलाने का प्रयास किया। अब आगे के चरणों के लिए भाजपा कमर कसकर तैयार थी कि दो नए अस्त्र अचानक हाथ में आ गए हैं।

दरअसल, शुक्रवार को ही अहमदाबाद की विशेष अदालत ने चौदह वर्ष पूर्व अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। चुनाव के मौके पर इसका यूपी कनेक्शन भी ताजा हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के तमाम शीर्ष नेता स्पष्ट आरोप लगा रहे हैं कि इनमें एक आतंकी के पिता सपा से जुड़े हैं और प्रचार भी कर रहे हैं। भाजपा उत्तर प्रदेश के अधिकृत टि्वटर हैंडल से इसे लेकर लगातार ट्वीट किए जा रहे हैं। चूंकि आतंकी आजमगढ़ का निवासी है और सपा मुखिया अखिलेश यादव वहीं से सांसद हैं, इसलिए भाजपा को पूरा मौका मिल गया है कि पूर्वांचल में इस मुद्दे को गर्माया जाए।

इसी तरह नागरिक संशोधन कानून को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय शुक्रवार को ही आया, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से शुरू की गई वसूली प्रक्रिया को अन्यायपूर्ण बताया गया और कहा गया कि आरोपितों से कानून के दायरे में ही वसूली की जा सकती है। कांग्रेस इस निर्णय से उत्साहित है तो सरकार की ओर से जवाब दिया गया है कि 274 नोटिस वापस लिए जा चुके हैं। अब न्यायाधिकरणों के माध्यम से वसूली की जाएगी। अवध क्षेत्र में यह मामला इसलिए चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी है, क्योंकि इससे जुड़े दो प्रत्याशी मैदान में हैं।

कांग्रेस ने लखनऊ मध्य सीट से सदफ जाफर को प्रत्याशी बनाया है, जो कि सीएए विरोधी आंदोलन की पोस्टर गर्ल थीं। वहीं, दूसरी तरफ इसी सीट से भाजपा ने रजनीश गुप्ता को मैदान में उतारा है, जिन्होंने बतौर नगर निगम उपसभापति नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया था। चूंकि, सीएए के विरोध में लखनऊ में काफी हिंसक घटनाएं हुई थीं, इसलिए भाजपा इस पर पूरी ताकत लगाने के मूड में है। इधर, कांग्रेस भी इसे हवा देना चाहती है। पार्टी की ओर से न्यायालय के निर्णय को सरकार के गाल पर तमाचा कहा गया है।