कविता

मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ??

मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ?? मैं! पूछना चाहती हूं इस समाज धर्म के ठेकेदारों से आखिर! नारी के असहनीय दर्द भरे पलों के नाम पर ये ढोंग ढकोसला क्यूं ।।

मासिक धर्म के नाम पर

ये आडंबर क्यूं ??


मैं!

पूछना चाहती हूं इस समाज

धर्म के ठेकेदारों से

आखिर! नारी के असहनीय दर्द भरे पलों के नाम

 पर ये ढोंग ढकोसला क्यूं ।।


जिस,

रक्त के कण कण से जब पालती हैं

नन्ही सी जां को

कोख में और जन्म देती हैं शिशु को

तब,वो शिशु अपवित्र क्यूं नही कहलाता ।।


फिर,

हर माह के 5 य 7 दिन रक्तस्राव से

वो,नारी अपवित्रता का भाग कैसे हैं बन जाती ।।


घर में उसका तिरस्कार किया जाता हैं

यहां तक कि,

हर भाग,हर हिस्से से अलग किया जाता हैं ।।

अपवित्रता के नाम पर उसके साथ छल

किया जाता हैं

छूत का अंश बतलाकर,रक्तश्राव के दिनों

उसके साथ भेदभाव किया जाता हैं ।।


मैं तो मानती हूं

आडंबर और पाखड़ से भरे

यहाँ के अधिकतर वासी ।

जहां,धर्म अध्यात्म और भक्ति के नाम पर

इस तरह के छलावें नित्य ही किये जातें हैं ।।


यहां,नारी पर हावी नारी ही हैं

फिर,ना जाने क्यों नारी को नारी की सखी कहा जाता है ।।


पढ़े लिखे और अनपढ़ में

फिर भेद क्या रह जाता हैं

जहां, इन तुच्छ हरकतों में इंसान मन और मस्तिष्क लगाता हैं ।।


Stop this crime!

Stop this discrimination !

विचारणीय,तथ्य

 

 स्नेहा की कलम से..

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

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