इस जहां में मैं खुद को तलाशता रहा….
मैं कौन हूं… क्या है मेरा वजूद….?
बस खुद से किए सवाल का जवाब ढूंढता रहा..?
जो हर वक्त साथ रहा दिन के उजाले में,
रात में भी मैं उस साये को तलाशता रहा..!
कहां जा रहा हूँ मुझे कुछ खबर नहीं,
चलते चलते मैं खुद को तलाशता रहा..!
अर्पित कुशवाहा , शाहजहाँपुर