कविता
नेता भईया
कागज की नाव आप चलाएंगे कब तक जनता को पागल बनायेंगे कब तक। कहते हैं हर आंख के आंसू पोंछ देंगे जिंदगी भर हम तुम्हे कुछ इतना देंगे।
कागज की नाव आप चलाएंगे कब तक
जनता को पागल बनायेंगे कब तक।
कहते हैं हर आंख के आंसू पोंछ देंगे
जिंदगी भर हम तुम्हे कुछ इतना देंगे।
झूँठे ख्वाब ऐसे दिखाएंगे कब तक
जनता को पागल बनायेंगे कब तक
कागज की नाव आप……
अपने मुंह बनते हैं मियां
मिट्ठू
आश्वाशन के खिलाते हैं लड्डू।
सबको ये हुनर सिखायेंगे कब तक
जनता को पागल बनायेंगे कब तक।
कागज की नाव आप….
कब मिलेगा मुफलिसों को दाना पानी
जब मर जायेगा तुम्हारी आंख का पानी।
गरीबों की भूख मिटाएंगे कब तक
जनता को पागल बनायेंगे कब तक।
कागज की नाव आप…..
झूठे भाषणों से पेट नहीं भरने वाला
समय जरूर आयेगा परिवर्तन करने वाला।
लालच की टाफी से फंसाएंगे कब तक
जनता को पागल बनायेंगे कब तक
कागज की नाव आप चलाएंगे कब तक।
गीतकार अनिल कुमार दोहरे मो. 7985403489