कानपुर देहात

प्रभावी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया हेतु प्रयोग प्रदर्शन आवश्यक है : ब्रजेश दीक्षित

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा सीवी रमन लघु शोध योजना स्कीम के अंतर्गत अकबरपुर महाविद्यालय में चल रहे शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तृतीय दिवस विभिन्न व्याख्यान एवं लो कॉस्ट टीएलएम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अकबरपुर महाविद्यालय के बी.एड. विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजय तिवारी ने एडगर डेल के सिद्धांत की चर्चा करते हुए कहा कि अधिगम तभी अधिक स्थाई होता है जब उसमें अधिकतम ज्ञानेंद्रियों का उपयोग किया जाए।

अमन यात्रा, अकबरपुर : छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा सीवी रमन लघु शोध योजना स्कीम के अंतर्गत अकबरपुर महाविद्यालय में चल रहे शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तृतीय दिवस विभिन्न व्याख्यान एवं लो- कॉस्ट टीएलएम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अकबरपुर महाविद्यालय के बी.एड. विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजय तिवारी ने एडगर डेल के सिद्धांत की चर्चा करते हुए कहा कि अधिगम तभी अधिक स्थाई होता है जब उसमें अधिकतम ज्ञानेंद्रियों का उपयोग किया जाए। अतः प्रभावी अधिगम हेतु दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री का प्रयोग किया जाना चाहिए। डीएलएड विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवदत्त शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक विषय की अपनी आवश्यकताएं एवं सीमाएं होती हैं। अतः प्रभावी अधिगम हेतु विषय की आवश्यकता के अनुसार शिक्षण अधिगम सामग्री का चयन किया जाना चाहिए। उचित शिक्षण अधिगम सामग्री का चयन विषय में रोचकता लाता है तथा विद्यार्थियों के ध्यान को केंद्रित करता है।
कार्यशाला संयोजक डॉ. विकास मिश्रा ने शिक्षण अधिगम सामग्री की विशेषताओं की चर्चा करते हुए कहा कि सहायक सामग्री प्रभावी होगी तभी शिक्षण उत्कृष्ट होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षण अधिगम सामग्री के चयन में उसकी विशेषताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। अच्छी शिक्षण अधिगम सामग्री वह है जो अल्प व्यय में उपलब्ध हो तथा विषयवस्तु को स्पष्ट करने में सक्षम हो। वास्तविक वस्तुओं का प्रयोग अथवा लपेट श्यामपट्ट पर रंगीन चाॅक का प्रयोग करके इसको निर्मित किया जा सकता है। अल्प व्यय, सीमित आकार, विषयवस्तु से सटीकता, संप्रत्यय स्पष्ट करने की क्षमता तथा विद्यार्थियों में रोचकता बनाए रखना एक अच्छी शिक्षण अधिगम सामग्री की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में ग्लोबल साइंस क्लब अजीतमल के संयोजक एवं पूर्व प्रधानाचार्य ब्रजेश दीक्षित ने विज्ञान के विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से वैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों को स्पष्ट किया तथा बताया कि सीखने का सबसे अच्छा साधन करके सीखना है। उन्होंने विज्ञान के विभिन्न उपकरणों को अल्प व्यय में बनाने का प्रशिक्षण दिया तथा खाद्य पदार्थों में मिलावट के संबंध में प्रतिभागियों को जागरूक करते हुए उसकी जांच के वैज्ञानिक तरीके बताए।अपने प्रस्तुतीकरण के दौरान उन्होंने भौतिकी के लगभग तीस प्रयोगों का डेमोंसट्रेशन किया।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर एसी पाण्डेय ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन बी.एड. विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभिनव सिंह ने किया एवं कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों का संचालन तथा शैक्षणिक व्यवस्था डॉ. अर्चना द्विवेदी के नेतृत्व में संपन्न हुई। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. देवदत्त शुक्ला, मनोज सोनकर, सोनी कुशवाहा, अनुराधा सिंह, डॉ प्रभा गुप्ता, डॉ राम मनोहर मिश्रा, रत्नेश कुमार, मुकुल दुबे, नीरज अवस्थी, शांति देवी, सुनील मिश्रा, नरेंद्र सिंह, अखिलेश कुमार, ईश्वर चंद्र आदि का सराहनीय योगदान रहा।
Author: AMAN YATRA

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