शिक्षक भर्ती न आने से बेरोजगारों के साथ साथ डीएलएड कॉलेजों को झटका
परिषदीय स्कूलों में चार वर्षों से अधिक समय से कोई भर्ती न आना डीएलएड प्रशिक्षण से युवाओं के मोहभंग का मुख्य कारण बन गया है। पिछले साल भी 30 से 40 प्रतिशत सीटें खाली रह गई थीं इस बार 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली जाने का अनुमान है।
- शिक्षकों की भर्ती नहीं आने से डीएलएड से युवाओं का हुआ मोहभंग, 50 फीसदी सीटें जायेंगी खाली
अमन यात्रा, कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में चार वर्षों से अधिक समय से कोई भर्ती न आना डीएलएड प्रशिक्षण से युवाओं के मोहभंग का मुख्य कारण बन गया है। पिछले साल भी 30 से 40 प्रतिशत सीटें खाली रह गई थीं इस बार 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली जाने का अनुमान है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती चार वर्ष से अधिक समय से नहीं आने से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण से युवाओं का मोहभंग होने लगा है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों से डीएलएड प्रशिक्षण संस्थानों की सीटें नहीं भर रही हैं। इससे जहां निजी कॉलेज आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं वहीं शिक्षकों को भी वेतन के लाले पड़ गए हैं।
डीएलएड कालेज के प्रबंधकों की माने तो प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड प्रशिक्षितों को भी अवसर दिए जाने से डीएलएड प्रशिक्षण के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान कम हुआ है स्थिति यह है कि बीएड प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के साथ प्राथमिक शिक्षक भर्ती सहित हाईस्कूल स्तर की शिक्षक भर्ती में भी शामिल हो सकते हैं जबकि डीएलएड प्रशिक्षित सिर्फ प्राथमिक शिक्षक भर्ती में ही शामिल हो सकते हैं।
ऐसे में वर्ष 2023 में प्रवेश के लिए उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने आवेदन आमंत्रित किए हैं लेकिन पिछले वर्ष की स्थिति को देखते हुए सीटों का भरा जाना किसी चुनौती से कम नहीं लगता। विद्यार्थी बीएड करना ज्यादा मुनासिब समझ रहे हैं क्योंकि ये प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर की सभी भर्तियां आवेदन कर सकते हैं।