कानपुर

RBI में एक से 20 रुपये तक के सिक्कों की आपूर्ति का गणित, क्यों बढ़ रही पांच रुपये की मांग

बाजार में पांच रुपये के सिक्के तीन साल में 60 फीसद तक बढ़ गए हैं। इसकी वजह एक दो रुपये के विधिग्राह्य होने के बाद भी कम चलन में रहना है ऐसे में पांच रुपये के सिक्के की मांग बढ़ने से रिजर्व बैंक लगातार सप्लाई बढ़ा रहा है।

कानपुर, अमन यात्रा। बाजार में सामान्य रूप से एक से 20 रुपये तक के सिक्के रोज के लेनदेन के रूप में हैं। सिक्कों की खपत पर लगातार नजर रखने वाले रिजर्व बैैंक ने भी देखा है कि पांच रुपये के सिक्कों की खपत लगातार बढ़ रही है। इसके चलते हर वर्ष पांच के सिक्कों की आपूर्ति बाजार में बढ़ाई जा रही है। बीते वित्तीय वर्ष में ही 110 करोड़ के करीब पांच के सिक्के देश में उतारे गए। हर वर्ष बाजार में सिक्कों की नई सप्लाई के जरिए रिजर्व बैंक चलन में सिक्कों की वैल्यू करीब 26 हजार करोड़ के आसपास बनाए है। धीमी रफ्तार से ही चलन में सिक्कों का मूल्य बढ़ रहा है।

..तो इसलिए बढ़ रही पांच रुपये की मांग

वैसे तो एक और दो रुपये के सिक्के पहले से ही चलन में बड़ी संख्या में हैं लेकिन अब ज्यादातर चीजों की कीमत एक व दो रुपये से ज्यादा ही है, ऐसे में उनकी जगह पांच रुपये के सिक्कों की बाजार में ज्यादा मांग है। सब्जी की दुकान पर भी कम से कम पांच रुपये की धनिया या मिर्च खरीदी जाती है। इसलिए सबसे छोटी करेंसी के रूप में पांच रुपये के सिक्के की मांग बढ़ रही है। एक के सिक्के की आपूर्ति अप्रत्याशित रूप से करीब चार फीसद रह गई है, वहीं दो रुपये की सप्लाई तीन वर्ष में आधी हो गई है। पांच के सिक्कों की खपत तीन वर्ष में 60 फीसद तक बढ़ चुकी है।

ये है सिक्कों की कमी और आपूर्ति का गणित

पहले सिक्का ढालते वक्त उसका अंकित मूल्य और धात्विक मूल्य बराबर होता है लेकिन समय के साथ धातुओं की कीमतें बढऩे से उसमें जितनी धातु होती है, उसका मूल्य तो बढ़ जाता है लेकिन उसका अंकित मूल्य उतना ही रह जाता है। इसलिए बहुत से लोग पुराने सिक्के पिघलाकर उसे धातु के रूप में बेच देते थे। इसे देखते हुए सिक्के के धात्विक मूल्य को कम किया गया। इसकी वजह से अब एक रुपये के सिक्के की ढलाई में उसके अंकित मूल्य से ज्यादा खर्च आता है बाकी सिक्कों में कम। आरटीआइ में डेढ़ वर्ष पहले रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए एक जवाब के मुताबिक एक रुपये के सिक्के की ढलाई 1.10 रुपये, दो रुपये के सिक्के की ढलाई 1.28 रुपये, पांच रुपये के सिक्के की ढलाई 3.69 रुपये व 10 रुपये के सिक्के की ढलाई 5.54 रुपये आती है।

छपाई की कीमत घटती-बढ़ती

2017 के आंकड़ों के मुताबिक उस समय पांच रुपये का नोट 48 पैसे में छप रहा था। 10 रुपये का नोट 96 पैसे, 20 रुपये का नोट 1.5 रुपये, 50 रुपये का नोट 1.81 रुपये, 100 रुपये का नोट 1.79 रुपये, 500 रुपये का नोट 3.09 रुपये, 2,000 रुपये का नोट 3.54 रुपये में छप रहा था। अगले वर्ष 2018 में 10 रुपये का नोट पांच पैसे ज्यादा होकर 1.01 रुपये वहीं 20 रुपये का नोट एक रुपये में छपने लगा। इसी तरह 50 रुपये का 1.01 रुपये तो 100 रुपये का नोट 1.51 रुपये में छप रहा था। छपाई की कीमतें हर वर्ष बदलती रहती हैं।

आबादी संग मांग बढ़ी, नोट के मुकाबले उम्र ज्यादा

सिक्कों की मांग आबादी के साथ भी बढ़ती है। आबादी कम थी तो सिक्कों की जरूरत भी कम थी। जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है। सिक्कों की आपूॢत भी नियमित रूप से करनी पड़ती है। इसके अलावा नोट के मुकाबले सिक्के की उम्र ज्यादा होती है, इसकी वजह से सिक्कों को प्राथमिकता दी जा रही है।

एक रुपये पर वित्त सचिव, बड़े नोटों पर आरबीआइ गवर्नर के हस्ताक्षर

एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं, जबकि इसके ऊपर के नोट पर रिजर्व बैंक गवर्नर के। इसमें जितने का नोट होता है, धारक को उतने रुपये अदा करने का वचन दिया जाता है। वी बैंकर्स राष्ट्रीय महामंत्री आशीष कुमार मिश्रा ने कहा कि छोटे मूल्य वर्ग के नोट इसलिए भी ज्यादा नहीं छापे जा रहे हैं क्योंकि अगर इन्हेंं ज्यादा छापा गया तो लोग सिक्के लेना बंद कर देंगे जबकि सिक्कों की उम्र ज्यादा होती है। नोटों को छापने के पीछे रिजर्व बैंक को उसकी राशि के अनुपात में अपने कोष में स्वर्ण सुरक्षित भी रखना पड़ता है।

पिछले तीन वर्ष में सिक्कों की आपूॢत (संख्या लाख में)

सिक्के का मूल्य 2018-19 2019-20 2020-21
01 25550 1093 1000
02 12860 79963 6718
05 6779 9984 10995
10 16132 11565 5852
20 458 5061

(नोट : आंकड़े रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर)

बाजार में चलन में सिक्के (संख्या लाख में)

सिक्के का मूल्य 2018-19 2019-20 2020-21
01 503260 508878 512597
02 331540 335158 337863
05 171510 175992 179360
10 49050 50130 51391
20 896

(नोट : आंकड़े रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर)

चलन में मौजूद सिक्कों का मूल्य (करोड़ रुपये में)

सिक्के का मूल्य 2018-19 2019-20 2020-21
01 5033 5089 5126
02 6631 6703 6757
05 8575 8800 8968
10 4905 5013 5139
20 179

(नोट : आंकड़े रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर)

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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