डॉ कुमार ने हिंदी के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि अंग्रेजी अगर सत्ता की भाषा है , तो हिंदी स्वायत्तता की भाषा है , अंग्रेजी अगर सम्मान की भाषा है ,तो हिंदी स्वाभिमान की भाषा है ,अंग्रेजी अगर स्वीकृति की भाषा है, तो हिंदी संस्कृति की भाषा है। हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ हेमेंद्र सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी ने सबसे अधिक योगदान दिया किंतु दुर्भाग्य ! देश स्वतंत्र होने के बाद हिंदी की उपेक्षा की गई यदि उस समय हिंदी पर तत्कालीन शासन सत्ता पर बैठे हुए लोगों द्वारा बल दिया गया होता तो आज हिंदी संपूर्ण भारत की सर्वमान्य भाषा होती तत्कालीन शासन सत्ता द्वारा हिंदी को महत्व ना देना हिंदी के विकास में सबसे बड़ा अवरोध रहा यद्यपि हिंदी ने बहुत प्रगति की है।
जिसमें बाजार का बड़ा योगदान रहा है विशेषकर अप्रवासी भारतीय बड़ी भूमिका हिंदी की प्रगति में अदा कर रहे हैं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रजनी त्रिपाठी ने कहा कि भाषा किसी भी राष्ट्र की संस्कृति ,दर्शन ,विज्ञान की उन्नति का मार्ग होती है। भाषा राष्ट्र को कड़ी से कड़ी में जोड़ने का कार्य करती है , और किसी देश को नष्ट करना है तो पहले उसकी भाषा को नष्ट करो, संयोग से हमारे देश के साथ भी यही हुआ तमाम विदेशी आक्रमणकारियों ने देश की भाषा को नष्ट कर हमारे देश के नागरिकों को आपस में अलग कर देश में शासन स्थापित किया।
समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष एनएसएस के प्रभारी डॉ केके सिंह ने हिंदी भाषा के अंतर्गत साहित्य की पठनीयता पर बल दिया डॉ सिंह ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हिंदी भाषा को सुदृढ़ रूप से जानना है तो साहित्यकारों ,लेखकों के द्वारा लिखे गए उपन्यास कहानी व कविताओं को बड़े मनोयोग के साथ पढ़े तब जाकर आपकी भाषा पर पकड़ मजबूत होगी। डॉक्टर पर्वत सिंह कहा कि आज हिंदी ना सिर्फ हमारे देश भारत वल्कि विश्व के 167 देशों में लिखी पढ़ी और समझी जाने वाली भाषा है इसलिए आज हम हिंदी में बोलने व्यवहार में लाने मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करें ।हिंदी जन -जन की भाषा है यह रोजगार के क्षेत्र में विशेष अवसर उपलब्ध कराने वाली है उन्होंने कहा कि हिंदी को प्रगति के पथ पर लाने का श्रेय प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत हिंदी समाचार पत्रों का विशेष योगदान है। इस अवसर पर संजय कुमार, अवनीश सचान ,सुनील कुमार, अमित त्रिपाठी ,ज्ञान सिंह, रवि राज सहित महाविद्यालय के अनेक छात्र व छात्राएं तथा एनसीसी कैडेट्स मौजूद रहे।