मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है की जन्मजात दोषों में जन्मजात हृदय रोग हृदय का एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि आरबीएसके योजना केअंतर्गत निःशुल्क किया जाता है। आरबीएसके के अंतर्गत जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में 20 टीमें कार्यरत हैं जो प्रत्येक गाँव में विजिट कर जन्मजात दोषों की पहचान करती हैं एवं उनके उपचार के लिए प्रयासकरती है।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण दिखते है जैसे हाथ, पैर,जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवंखेल-कूद में जल्दी थक जाना । डॉ सुबोध बताते है कि परिवार के लिए प्लानिंग करने से पहले और गर्भावस्था में महिला की ओर से आयरन फोलिक एसिड का सेवन न करने से पैदा होने वाले शिशु में इस जन्मजात विकृति की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए आशा और एएनएम की मदद से किशोरावस्था से ही इन गोलियों की सेवन शुरू कर देना चाहिए।
डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह का कहना है की जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2023 से अब तक कुल चार बच्चों की निशुल्क हार्ट सर्जरी करवाई जा चुकी है। उन्होनें बताया कि सरकार के इस कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों, मदरसों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजिकृत जन्म से 19 वर्ष तक के लोगों का इलाज नि:शुल्क करवाया जाता है। न्यूरल ट्यूब, कटे होंठ और तालू, क्लबफुट, कूल्हे का विकासात्मक डिसप्लेसिया, जन्मजात हृदय रोग, जन्मजात बहरापन, जन्मजात मोतियाबिंद सहित 40 तरह की गंभीर बीमारियों का उपचार योजना के अंतर्गत मुफ्त में किया जाता है।