उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से जिले स्तर पर संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र खोलने की तैयारी के बीच अब हर ग्राम पंचायत में बच्चों के लिए संस्कार की पाठशाला खोलने की कवायद शुरू हो गई है। बच्चों की पाठशाला में कक्षा पांच के नीचे पढऩे वाले बच्चों को संस्कृत भाषा में मंत्रोच्चारण के साथ ही नैतिक शिक्षा और संस्कारों के बारे में पढ़ाया जाएगा। सुबह उठने पर माता-पिता का चरण स्पर्श करना, धरती मां को प्रणाम करना, अनाज और फलों की जानकारी के साथ ही संस्कृत में श्लोकों को सिखाने और उनके महत्व के बारे में भी बच्चों को बताया जाएगा।
‘चुन्नू-मुन्नू संस्कार पाठशाला के नाम से खुलने वाली पाठशालाओं में गांव की रहने वाली इंटर पास छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उसकी ग्राम पंचायत में रहकर छात्राएं पंचायत भवन, ग्रामीण सचिवालय या फिर मंदिर जैसी की भी सार्वजनिक स्थल पर छात्राएं केंद्र चलाएंगी। करीब दो घंटे की कक्षा का समय बच्चों की सुविधा व मुख्य पढ़ाई के समय को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाएगा। उप्र संस्कृत संस्थान की ओर से प्रदेश के सभी 817 ब्लॉकों और 58,909 ग्राम पंचायतों की इंटर पास छात्राओं का चयन किया जा चुका है।
लखनऊ,अमन यात्रा : विकास के साथ ही हम भले ही डिजिटल युग में बढ़ रहे हों, लेकिन संस्कारों की कमी अभिभावकों की नींद उड़ाए हुए है। कांवेंट स्कूल में बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा की बढ़ी होड़ इस चिंता में और इजाफा कर रही है। पढ़ाई के साथ बच्चों को अपनी संस्कृति और संस्कार की जानकारी हो इसके लिए प्रदेश सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। राजधानी समेत प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में बच्चों को संस्कार देने के लिए निश्शुल्क पाठशालाएं खोली जाएगी। फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ ही संस्कृत भी बोलेंगे बच्चे।