आखिर कोरोना वायरस की तरह शिक्षकों के पीछे क्यों पड़े हैं डीजी साहब, खबर पढ़कर समझिए आप

2009 बैच के तेज तर्रार आईएएस अधिकारी विजय किरन आनंद को उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हर कोई जानता है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहुत ही करीबी आईएएस अधिकारियों में जाने जाते हैं।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। 2009 बैच के तेज तर्रार आईएएस अधिकारी विजय किरन आनंद को उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हर कोई जानता है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहुत ही करीबी आईएएस अधिकारियों में जाने जाते हैं। मूलरूप से बेंगलुरु के रहने वाले विजय किरन आनंद की पहली पोस्टिंग बागपत में एसडीएम के पद पर हुई थी। इसके बाद वो सीडीओ बाराबंकी बने। बतौर डीएम उन्होंने शाहजहांपुर और वाराणसी में शानदार काम किया। इसके बाद वो उत्तर प्रदेश महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक के पद पर तैनात रहे। यहां से सीएम योगी ने उन्हें अपने गृह जनपद गोरखपुर का डीएम बनाया।

 

शिक्षा व्यवस्था में और अधिक सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें पुन: महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक की बागडोर सौंपी तो अब उन्होंने सारे रिसर्च परिषदीय स्कूलों पर करने शुरू कर दिए। वर्तमान में परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों से ऐसे ऐसे कार्य लिए जा रहे हैं जोकि बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर्स से नहीं लिए जा रहे होंगे। सभी विभागों के सभी रिसर्च लेवल के कार्य इस समय परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों से करवाए जा रहे हैं, हमारे तो यह समझ में नहीं आ रहा है कि इन शिक्षकों को गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए रखा गया है या इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में पीएचडी करवाया जा रहा है।वैसे बेसिक शिक्षा विभाग में इन्होंने जो लकीर खींची है उस तक पहुचना किसी भी अधिकारी के लिए मुश्किल ही है। उन्होंने अफसरशाही और बाबूशाही पर जो नकेल कसी वह प्रशंसनीय है लेकिन कुछ आदेश महानिदेशक की किरकिरी कर रहे हैं। हाल ही में महानिदेशक साहब ने एक फरमान जारी किया है कि अगर शिक्षक 15 मिनट भी लेट स्कूल पहुंचता है तो उसके पूरे दिन का वेतन काट लिया जाएगा। आदेश में विद्यालय में आने जाने की सेल्फी के साथ ही साथ बीच के समय में भी सेल्फी मांगी है। इस तरह के आदेश से अध्यापकों को निकम्मा व चोर साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि रियल टाइम उपस्थिति के आदेश को विभिन्न तर्कों के साथ अधिकांश अध्यापकों ने मानने से इंकार कर दिया है।

 

अध्यापकों का कहना है कि क्या डीजी साहब अपने सवा साल के कार्यकाल में खुद रियल टाइम रहे हैं। क्या उन्होंने राज्य के स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बेंचो की समुचित व्यवस्था कराई है ? क्या उन्होंने स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ दे दिया है ? क्या उन्होंने राज्य के सैकड़ों स्कूलों की जर्जर बिल्डिंग को बनवाया है ? क्या कभी अपने एसी ऑफिस से निकलकर गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत देखी है ? क्या कभी अपने कार्मिकों के वेतन की समयवद्धता पर ध्यान दिया है ? क्या इन सब मे वे डिजिटल हुए हैं ? प्रत्येक शिक्षक उनसे यह भी जवाब चाहता है कि अध्यापकों की पदोन्नति के मामलों में देरी क्यों हो रही हैं ? इसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं या कोई और। क्या जिम्मेदार के खिलाफ कार्यवाही करके उन्हें रियल टाइम किया है ? क्या कभी उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी किया है कि रसोइयों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों का मानदेय लेट क्यों हुआ ? कंपोजिट ग्रांट, एमडीएम ग्रांट, फल ग्रांट, यूनिफॉर्म ग्रांट लेट क्यों हुई ? स्थानांतरण मामला क्यों इतने दिनों तक लटकाए रखा है ? पाठ्यपुस्तकों का वितरण बहुत ज्यादा लेट क्यों हुआ ? प्रत्येक वर्ष आधा सत्र बीतने के बाद पाठ्य पुस्तकें मिलती हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? हाफ सीएल, शार्ट लीव, ईएल व प्रोन्नत वेतनमान शून्य क्यों हैं ? अध्यापकों के साथ ही उपरोक्त सवालों के जवाब मीडिया भी डीजी साहब से जानना चाहती है।

 

उपरोक्त सब के लिए कौन जिम्मेदार हैं ? क्या आपने किसी की जिम्मेदारी तय की है ? क्या विभाग के मुखिया होने के नाते यह सब आपकी जिम्मेदारी नहीं है ? क्या आपने रियल टाइम न होने पर कभी अपना वेतन कटवाया है ? क्या आपने अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की है ? जब आप खुद रियल टाइम नहीं हो तो आपको कोई हक नहीं बनता कठिन परिस्थितियों से जूझते अध्यापकों को रियल टाइम करने का। पहले आप खुद सुधरों फिर नीचे के अध्यापकों को सुधारों।

 

आप तो वरिष्ट आईएएस हैं फिर भी अव्यावहारिक आदेश कर रहे हैं। आपने पढ़ा भी होगा जिसके खुद के घर शीशे के होते हैं वह दूसरों पर पत्थर नही फेंका करते। आप एकांत में सोचना कि आपने बेसिक के अध्यापकों को जख्म देने के अलावा कभी कुछ और किया है ? कभी आपने उनके घावों पर मरहम लगाया है ? कभी उनकी बीमारी की दवा खोजी है ? आखिर आप कोरोनावायरस की तरह शिक्षकों की जान को जोखिम में क्यों डाल रहे हैं। आखिर आप अपनी बनी बनाई इमेज को क्यों धूमिल कर रहे हैं।

Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Recent Posts

मतदान कार्मिकों का द्वितीय प्रशिक्षण 4 मई से अकबरपुर डिग्री कॉलेज में।

कानपुर देहात। लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2024 के दृष्टिगत मतदान कार्मिकों का द्वितीय प्रशिक्षण कल 4…

9 hours ago

स्तरीय अधिकारियों के साथ संभावित सुखे के दृष्टिगत हुई बैठक

कानपुर देहात। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व केशव नाथ गुप्ता के अध्यक्षता में जनपद स्तरीय…

12 hours ago

निर्वाचन ड्यूटी में लगे सभी कार्मिकों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने की अपील

कानपुर देहात। मुख्य विकास अधिकारी लक्ष्मी एन0 की अध्यक्षता में विकास भवन कार्यालय में हुई…

12 hours ago

माईक्रो ऑब्जर्वरो को निर्वाचन के दौरान पैनी दृष्टि बनाये रखने हेतु दिया गया प्रशिक्षण

कानपुर देहात। लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2024 को शांतिपूर्ण,निष्पक्ष,पारदर्शीपूर्ण रूप में संपन्न कराए जाने हेतु सामान्य…

12 hours ago

This website uses cookies.