कानपुर देहात, अमन यात्रा – महंगाई का दंश सभी को चुभ रहा है चाहे घर हो, चाहे होटल हो और चाहे स्कूल। गैस सिलेंडर ही 1068 रूपये में मिल रहा है। महंगाई की चपेट में आकर परिषदीय स्कूलों की रसोई भी झुलस रही है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को खिलाए जाने वाले मिड-डे मील पर भी महंगाई की मार पड़ रही है। दाल, सब्जियों और दूध के भाव आसमान छू रहे हैं लेकिन परिषदीय विद्यालयों के लिए बनने वाले मिड-डे-मील की लागत कास्ट में दो साल से वृद्धि नहीं हुई है। धनराशि कम रहने और महंगाई बढ़ने से शिक्षक एमडीएम के लिए नित नए जतन लगा रहे हैं। इन दिनों जिले में संचालित परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट और संबंधित मान्यता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों और ग्राम प्रधानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। समस्या भी ऐसी वैसी नहीं है बल्कि उसका सीधा असर बच्चों के मिड डे मील पर पड़ रहा है। दरअसल मध्याह्न भोजन योजना में मिलने वाले कन्वर्जन कास्ट से अधिक लागत उससे बनवाने में आ रही है। इस समय खाद्य पदार्थों के दाम लगभग दोगुना हो गए हैं। ऐसे में लाजिमी है कि दोनों परेशान है कि आखिरकार मिड डे मील में बच्चों को तय मेन्यू के अनुसार कैसे भोजन दिया जाए। प्राइमरी कक्षाओं के लिए 4.97 रुपये और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 7.45 रुपये प्रति छात्र कन्वर्जन कास्ट की दर निर्धारित की गई है। शिक्षकों और प्रधानों का कहना है कि जहां इन दिनों महंगाई काफी बढ़ गई है जहां हालत ये है कि एक समोसा भी 7 रूपये से कम में नहीं मिलता। ऐसे में इतने कम में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन कैसे उपलब्ध कराएं। परिषदीय विद्यालयों में बनने वाले मध्याह्न भोजन के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से राशन तो मिल जाता है लेकिन ईंधन गैस से लेकर तेल, मसाला, दाल, सब्जी, नमक आदि सभी चीजें इसी कन्वर्जन मनी से खरीदी जाती है। शिक्षकों का कहना है कि अगर केवल तेल की ही बात करें तो जो खाद्य तेल दो वर्ष पहले सौ रुपये के आसपास था वर्तमान में वह दो सौ रुपये के आसपास हो गया है। बात केवल तेल की भी नहीं है मसाला एवं अन्य सामान भी महंगे हो गए हैं। यहां तक कि ईंधन गैस का दाम भी लगभग दोगुना हो गया है जो ईंधन गैस पहले छह सौ रुपये के आसपास आती थी, वह अब एक हजार रुपये से अधिक प्रति सिलेंडर हो गई है। इससे मध्याह्न भोजन बनवाने में कठिनाई हो रही है। अध्यापकों ने अपनी पहचान उजागर न करने पर बताया कि कि जो दर शासन स्तर से निर्धारित है, उसी में पूरा मध्याह्न भोजन बनवाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अगर कन्वर्जन कास्ट नहीं बढ़ाई गई तो भोजन बनाना कठिन हो जायेगा। वहीं कुछ विद्यालयों पर ग्राम प्रधान ही भोजन बनवाते हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि अगर कन्वर्जन कास्ट की दर नहीं बढ़ाई गई तो हम लोग मध्याह्न भोजन बनवाना बंद कर देंगे। एमडीएम योजना से जिले के परिषदीय विद्यालयों के अलावा मान्यता प्राप्त विद्यालय भी इस योजना से जुड़े हैं। इन मान्यता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा छह से लेकर कक्षा आठ तक के विद्यार्थी लाभार्थी हैं। वर्तमान में जनपद के 1926 परिषदीय स्कूलों में करीब 160000 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय का कहना है कि कन्वर्जन कास्ट शासन स्तर से तय किया जाता है। उसी के अनुसार कार्य कराया जाता है। शासन का जो दिशा-निर्देश होता है, उसका अनुपालन किया जाता है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत राजेश बाबू कटियार का कहना है कि कन्वर्जन कॉस्ट का रेट नहीं बढ़ने से प्रधानाध्यापकों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। विभागीय अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी विद्यालय में निरीक्षण के समय पहले एमडीएम की गुणवत्ता ही चेक करते हैं। गुणवत्ता खराब मिलने पर संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्यवाही कर देते हैं। शिक्षक काफी दिनों से कन्वर्जन कॉस्ट के दामों में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। पहले हर वर्ष कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ती थी लेकिन इस बार दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
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