एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा, ‘फुल ट्रक लोड (FTL) सौदे के लिए पिछले एक साल में माल भाड़ा 25 से 30 फीसद बढ़ गया है। यह डीजल की कीमत में 30 से 35 फीसद की बढ़ोत्तरी होने के चलते हुआ है। एफटीएल सौदा आमतौर पर बड़े ट्रांसपोर्टर्स और कंपनियों के बीच होता है।’

ईधन की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी का ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री पर प्रभाव के बारे में विस्तार से बात करते हुए सिंघल ने कहा, ‘इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धा वाले बाजार में हम हमारे ग्राहकों को तत्काल डिलिवर करने में सक्षम नहीं है। हमारे सालाना और छमाही कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। अगर खेप हमारे पास छोड़ दी गई है, तो हमारे लिए बाद में क्लाइंट से अधिक शुल्क लेना संभव नहीं है। इसलिए इसका कुछ हिस्सा परिवहन संगठन द्वारा वहन करना पड़ता है और यह हमारी लाभप्रदता को प्रभावित करता है। साथ ही डीजल की कीमत में वृद्धि से हमारी संचालन की लागत बढ़ जाती है, जो हमारी पूंजीगत लागत को बढ़ाती है।’

सरकार से कीमतों में कमी लाने के निवेदन के साथ सिंघल ने कहा, ‘महंगाई बढ़ रही है। यह सभी उद्योगों को प्रभावित करने जा रही है। हमारे पास पूरे देश में डीजल की एक कीमत होनी चाहिए, जिससे कि हमें हमारे ट्रकों को सिर्फ उन स्थानों पर नहीं भेजना पड़े, जहां डीजल सस्ता है।’