दिल्ली सरकार ने सभी राज्यों को शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए कर दिया मजबूर

नई शिक्षा नीति में देश की स्कूली शिक्षा की जैसी कल्पना की गई है उसकी तरफ राज्य बढ़ते नजर आ रहे हैं। राज्यों में शिक्षा की तस्वीर के मूल्यांकन को लेकर शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट कई सकारात्मक संकेत देने वाली है। दिल्ली के स्कूलों के शैक्षिक स्तर को देखकर अन्य राज्य भी अपने यहां सुधार कर रहे हैं।

अमन यात्रा ,कानपुर देहात।  नई शिक्षा नीति में देश की स्कूली शिक्षा की जैसी कल्पना की गई है उसकी तरफ राज्य बढ़ते नजर आ रहे हैं। राज्यों में शिक्षा की तस्वीर के मूल्यांकन को लेकर शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट कई सकारात्मक संकेत देने वाली है। दिल्ली के स्कूलों के शैक्षिक स्तर को देखकर अन्य राज्य भी अपने यहां सुधार कर रहे हैं। राज्यों में सुधार की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है और वे जरूरी सुविधाओं और संसाधनों की निगरानी भी कर रहे हैं। शिक्षक छात्र अनुपात भी बेहतर हो रहा है। और शिक्षा के स्तर को लेकर राज्यों के बीच अंतर कम हो रहा है। राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा पर शिक्षा मंत्रालय ने परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआइ) नाम से रिपोर्ट जारी की है। इससे पता चलता है कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने से लेकर ड्रापआउट पर अंकुश लगाने तक राज्यों में नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने की होड़ है।


राज्यों में स्कूली शिक्षा के ढांचे में असमानता का पहले जो स्तर होता था, वह अब घट रहा है। 2021-22 के सत्र में सबसे अधिक अंक (928) पाने वाले राज्य व सबसे कम अंक (669) पाने वाले राज्य के बीच 259 अंकों या 33% का फासला है। 2017-18 के सत्र में यह अंतर 51 प्रतिशत था।

शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार जिला स्तर पर स्कूली शिक्षा का आकलन करने वाले प्रदर्शन ग्रेड इंडेक्स 2020-21 में शीर्ष स्थान हासिल किया है। छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने मंत्रालय के प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) 2020-21 में स्तर 2 (L2) की सर्वश्रेष्ठ रेटिंग प्राप्त की है जो स्कूली शिक्षा प्रणाली के साक्ष्य-आधारित व्यापक विश्लेषण के लिए एक अद्वितीय सूचकांक है। हालांकि कोई भी राज्य अब तक एल1 के उच्चतम स्तर को हासिल नहीं कर पाया है।


अगले साल बदलेंगे संकेतक –

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने अब तक तीन पीजीआइ रिपोर्ट जारी की हैं। यह समग्र रूप से एक हजार अंकों के पूर्णांक पर राज्यों की ग्रेडिंग करती है। इसमें कुल 70 संकेतकों का सहारा लिया गया है जिन्हें दो ग्रुपों में रखा गया है-प्रदर्शन और प्रशासन प्रबंधन। शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह अगले साल से राज्यों के आकलन के लिए डिजिटल एजुकेशन समेत कुछ नए संकेतक शामिल करेगा। ग्रेडिंग के कुल अंक एक हजार ही रहेंगे।

Author: AMAN YATRA

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