जस्टिस एमएम शांतनागौदर और जस्टिस आरएस रेड्डी की पीठ ने कहा कि देश में फालतू की याचिकाओं का चलन नहीं बनना चाहिए, क्योंकि गलत तरीके से आरोपित बनाए गए व्यक्ति को न सिर्फ पैसों का नुकसान होता है बल्कि समाज में उसे बदनामी का भी सामना करना पड़ता है। पीठ ने कहा कि निचली अदालतों का दायित्व है कि वे उचित मामलों में आरोपित को बरी करके फालतू की याचिकाओं को मुकदमे के चरण में ही रोक देना चाहिए।

बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण फैली कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल मार्च से सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामलों की सुनवाई हो रही है। कई बार निकाय और अधिवक्ता लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि मामलों की प्रत्यक्ष तरीके से सुनवाई तत्काल शुरू की जाए।