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नीट यूजी परीक्षा में व्यापम से भी बड़े घोटाले की आशंका, परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे अभ्यर्थी

मेडिकल की पढ़ाई को लेकर मध्य प्रदेश व्यापम घोटाले में भले ही हमेशा से सुर्खियों में रहा हो लेकिन अब नीट यूजी प्रवेश परीक्षा को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। परीक्षा परिणाम के सामने आने से ऐसा लगता है कि पहले से ही परीक्षा में गड़बड़ी की साजिश रची गई थी। मोटी रकम लेकर सेटिंग वाले बच्चों को पहले पेपर दिए गए थे और केंद्र भी सुविधाजनक एलाट किए गए थे और सेंटर के मुखिया से मिली भगत करके उन्हें उत्तर पुस्तिका में गोले लगाने के लिए ही परीक्षा में सम्मिलित किया गया था

कानपुर देहात। मेडिकल की पढ़ाई को लेकर मध्य प्रदेश व्यापम घोटाले में भले ही हमेशा से सुर्खियों में रहा हो लेकिन अब नीट यूजी प्रवेश परीक्षा को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। परीक्षा परिणाम के सामने आने से ऐसा लगता है कि पहले से ही परीक्षा में गड़बड़ी की साजिश रची गई थी। मोटी रकम लेकर सेटिंग वाले बच्चों को पहले पेपर दिए गए थे और केंद्र भी सुविधाजनक एलाट किए गए थे और सेंटर के मुखिया से मिली भगत करके उन्हें उत्तर पुस्तिका में गोले लगाने के लिए ही परीक्षा में सम्मिलित किया गया था। मेडिकल में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुई नीट परीक्षा के परिणाम में बड़े पैमाने पर घोटाले की बात सामने आने के बाद पूरे देश में अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस घोटालों से न जाने कितने बच्चे तनाव से पीड़ित होकर अपना भविष्य बर्बाद करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो इस कारण आत्महत्या करने जैसा कदम उठा लेते हैं।

अभी हाल ही में नीट की परीक्षा में खराब परीक्षा परिणाम आने से मध्य प्रदेश के रीवा जिले की एक छात्रा बागीशा तिवारी ने कोटा में आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। एनटीए अगर मशीन से चेक हुये पेपर के बाद किसी के भी इस तरह से नंबर बढ़ा सकती है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एनटीए द्वारा कितने साल से व्यापम से बड़ा यह घोटाला चल रहा था और कितनी परीक्षाओं में इसका असर था यह बच्चों के भविष्य को लेकर बड़ा गंभीर विषय है, जिस पर सरकार को तत्काल एक्शन लिए जाने की आवश्यकता है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) एक तानाशाही और घोटालाबाज संस्थान है और इस संस्थान ने व्यापम से भी बड़ा घोटाला किया है। ये संस्थान देश के लाखों युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर रही है।

कैसे होता है खेल-
विश्वस्त सूत्रों से ऐसी जानकारी मिली है कि नीट प्रवेश परीक्षा में सरकारी कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए देश भर में कई रैकेट चल रहे हैं जोकि एजेंसी की मिली भगत से इस कार्य को अंजाम देते हैं। इसके लिए छात्र को 40 से 50 लाख रुपए देने पड़ते हैं शुरुआती दौर में टोकन के रूप में 10 लाख रुपए की धनराशि ली जाती है और मूल शैक्षिक प्रमाण पत्र जमा कर लिए जाते हैं। इन छात्रों के प्रवेश परीक्षा फॉर्म रैकेट के लोगों द्वारा ही भरे जाते हैं। सर्वप्रथम एजेंसी और रैकेट के लोगों की योजना 1 दिन पहले पेपर आउट करवाने की रहती है। जिन बच्चों से धनराशि ली गई होती है उन बच्चों का सेंटर कई जगह न करके कुछ चुनिंदा शहरों/जगहों पर किया जाता है फिर अगर पेपर आउट हो जाता है तो एक दिन पहले इन बच्चों को एक सुरक्षित स्थान पर एकत्रित किया जाता है और वहां पर सभी क्वेश्चन और उनके आंसर उन्हें रात भर याद करवाये जाते हैं। अगर किसी कारण बस पेपर आउट नहीं हो पता है तो फिर संबंधित सेंटर पर एजेंसी के द्वारा अपने चुनिंदा लोगों को ड्यूटी पर भेजा जाता है जिनके पास आंसर शीट पहले से रहती है।

पूरा सेंटर पहले से ही सेट किया हुआ होता है जिनका कार्य करवाना होता है उन बच्चों से ओएमआर सीट खाली रखवाई जाती है फिर केंद्र पर ही ओएमआर शीट उन लोगों द्वारा भरी जाती है और इस प्रकार बच्चों के शत प्रतिशत क्वेश्चन सही कर दिए जाते हैं। देश की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा के लिए 40 से 50 लाख की धनराशि कोई बड़े मायने नहीं रखती है क्योंकि अगर छात्र प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करता है तो उसका खर्चा एक से सबाव करोड़ तक पहुंचता है जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ना के बतौर फीस लगती है। इसके अलावा जो बच्चे टॉप करते हैं उन्हें कई कोचिंग सेंटर वाले 50 से 60 लाख रुपए सिर्फ इस बात का देते हैं कि वह अभ्यर्थी मीडिया को यह बताता है कि उसने फलाने कोचिंग में कोचिंग करके यह सफलता अर्जित की है। जो अभ्यर्थी नीट परीक्षा में टॉप करता है उसके यहां हजारों बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर वाले लाखों रुपए का ऑफर लेकर घूमते हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर कोई टॉपर बच्चा यह कहता है कि हमने फलानी कोचिंग में पढ़कर सफलता अर्जित की है तो उस कोचिंग सेंटर में करीब 80 फीसदी तैयारी करने वाले बच्चों की संख्या बढ़ जाती है।

वर्तमान में नीट जैसी प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटर प्रति छात्र ढाई से 3 लाख रुपए तक लेते हैं। कोचिंग सेंटर में छात्र संख्या बढ़ने से उनकी बल्ले बल्ले हो जाती है। इस प्रकार नीट परीक्षा में हुई धांधली को नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि एक ही केंद्र पर कई कई बच्चे टॉप किए हैं और इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि नीट जैसी परीक्षा में 67 बच्चे टॉप किए हैं। एक ही जगह के कई छात्रों का टॉप करना कहीं ना कहीं परीक्षा में हुई गड़बड़ी पर सवाल खड़ा करता है। सरकार को इस परीक्षा को निरस्त कर दोबारा से पारदर्शी तरीके से परीक्षा करवानी चाहिए।

Author: anas quraishi

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