लखनऊ,अमन यात्रा l  कहते हैं अभिनय मानव जीवन में समाहित रहता है। बचपन से ही उस अभनय की अनुभूति अपनों को होने लगती है। अभिनय को तराशने वाले सशक्त कलाकार की श्रेणी में आ जाते हैं और इसे जीवन में आत्मसात करके आगे बढ़ जाते हैं। रामलीला मंचन को आगे बढ़ाने में परिवार की भूमिका भी सशक्त होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को जीवन में उतारने और आने वाली पीढ़ी इसका तोहफा देने की सोच रामलीला को एक सशक्त मंच प्रदान करती है। रामलीला में ऐसे कलाकार हैं जो पिछली कई पीढ़िय़ों से रामलीला में अभिनय का संस्कार दे रहे हैं। इन सबके पीछे मंशा सिर्फ इतनी है कि भारतीय संस्कृति सदैव आगे बढ़ती हैं। राजधानी में भी ऐसे कई परिवार हैं जो रामलीला को मंचन प्रदान कर रहे है।

आलमबाग में तीन पीढ़ियों से कर रहे रामलीलाः कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ता मिल ही जाता है। नौकरी व्यस्तम समय के बावजूद रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने वाले ओएस श्रीवास्तव के पुत्र संजय श्रीवास्तव और फिर नाती वंश श्रीवास्तव रामलीला के किरदार को निभा रहा है। कक्षा आठ में पढऩे वाले वंश श्रीराम के किरदार को पिछले दो साल से मंचित कर रहे हैं तो संजय श्रीवास्तव हनुमान, शंकर, वाणासुर और अहिरावण के किरदार को मंच पर जीवंत करते हैं। नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बावजूद ओएस श्रीवास्तव मंच संचालन की जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका कहना है कि जब तक हाथ पैर चलेंगे रामलीला चलती रहेगी। सभी एक साथ मंच पर नजर आते हैं।