लखनऊ, अमन यात्रा । उत्तराखंड के बैराजों से पानी छोड़े जाने से बरेली मंडल गंगा, रामगंगा व गर्रा नदी उफना गई। शाहजहांपुर में तिलहर, कलान तथा सदर तहसील के करीब 350 गांव सैलाब से घिर गए है। शनिवार को दो दर्जन सड़कें जलमग्न हो गईं। 50 से अधिक गांवों का संपर्क कट गया। बरेली के फतेहगंज पूर्वी से नवादा मोड़ होते हुए बदायूं को जाने वाले रास्ते पर चार फीट तक पानी भरा है। उधर, नेपाल में लगातार हो रही मूसलधार बारिश से डुमरियागंज क्षेत्र में बाढ़ आ गई है। पश्चिमी नेपाल के प्यूठान से निकली राप्ती नदी यहां एक बार फिर उफान पर है और तेजी से कटान कर रही है। बाढ़ से तहसील के लगभग 15 गांव प्रभावित हुए हैं। एक गांव के तो अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है। पिछले चार दिन से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लखीमपुर खीरी में हर तरफ तबाही का मंजर है। बाढ़ के कारण पांच तहसीलों पलिया, निघासन, धौरहरा, लखीमपुर और गोला के 340 गांव में पूरी तरह जलमग्न हैं। यहां प्रशासन ने तीन मौतों की पुष्टि की है।
बरेली मंडल में सबसे ज्यादा खराब स्थिति शाहजहांपुर की तिलहर तहसील में है। यहां राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) ने मोर्चा संभाल लिया है। यूनिट ने राजस्व विभाग की मदद से यहां बाढ़ में फंसे 45 लोगों को मोटरमोट व नाव से रेस्क्यू किया। कई घर पानी में समा गए हैं। जैतीपुर, खुदागंज, तिलहर और सदर क्षेत्र के दर्जनों स्कूलों में जलभराव होने से बंद कर किए जा चुके हैं। गांव निजामपुर नगरिया में रामगंगा किनारे फंसे पशु निकालने का प्रयास में एक युवक नदी में बह गया।
गोताखोर उसकी तलाश में जुटे रहे मगर, सफलता नहीं मिली। रामगंगा का जलस्तर बढऩे से बरेली में शहर तक आया पानी आ गया है। 50 परिवारों को निकालकर राहत शिविरों में जगह दी गई है। शंखा नदी उफनाने से मीरगंज के दो दर्जन से ज्यादा गांवों में बाढ़ आ गई। नरौरा बैराज से पानी छोडऩे के बाद गंगा और रामगंगा नदियों का जलस्तर बढऩे से बदायूं के कछला और सहसवान में बाढ़ है। उसहैत का जटा, चेतराम नगला, ठकुरी नगला, कोनका नगला गांव टापू बन गया। दातागंज के प्राणपुर, देवरनिया, बेला गांवों तक पहुंचने का रास्ता कट गया।
लखीमपुर खीरी में बाढ़ के कारण पांच तहसीलों पलिया, निघासन, धौरहरा, लखीमपुर और गोला के 340 गांव में पूरी तरह जलमग्न हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से जिले भर में सात ग्रामीणों की मौत बताई जा रही है, लेकिन प्रशासन ने अब तक तीन मौतों की पुष्टि की है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक बाढ़ के कारण जिले की 1.56 लाख की जनसंख्या बुरी तरह प्रभावित हुई है। राहत टीमें भी उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनपद का 30137 हेक्टेयर क्षेत्रफल नदियों की चपेट में है। बाढ़ से 20196 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पानी में डूबी हुई है, जिसमें 11196 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना, धान, केला की फसल बोई गई थी। प्रशासन का अनुमान है कि जिलेभर में 3380 लाख रुपये की फसल की क्षति हुई है। यहां 38 बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर 1448 नावों को राहत कार्य में लगाया गया है।
सिद्धार्थनगर से बलरामपुर जिले को जोडऩे वाले सिंगारजोत-शाहपुर मार्ग पर नदी के पानी का दबाव बना हुआ है। नदी का जलस्तर कम नहीं हुआ तो पानी कभी भी मार्ग पर चढ़ सकता है। डुमरियागंज क्षेत्र के बनगाई नानकार गांव से कुछ दूरी पर बहने वाली राप्ती नदी तेजी से कटान करते हुए गांव के निकट पहुंच चुकी है। नदी और गांव के बीच बमुश्किल 20 मीटर की दूरी रह गई है। इसके अलावा रमवापुर उर्फ नेबुआ, धनोहरा, पेड़ारी, मछिया, डुमरिया, वीरपुर, असनहरा, चंदनजोत, बामदेई, पिकौरा, बेतनार, जूड़ीकुइयां, नेहतुआ, राउतडीला, मन्नीजोत सहित कई तटवर्ती गांवों में एक बार फिर पानी घुस गया है। लगभग डेढ़ माह पहले भी राप्ती की बाढ़ में कृषि योग्य काफी भूमि डूब गई थी। मन्नीजोत गांव के आलोक तिवारी, मनोज कुमार व छोटे यादव कहते हैं कि प्रशासन की लापरवाही से समस्या बढ़ी है। डेढ़ माह पहले आ चुकी बाढ़ के बाद भी प्रशासन और विभाग ने कोई सबक नहीं लिया।