प्रबंध समिति के सदस्यों को बीआरसी में दिया गया प्रशिक्षण

समग्र शिक्षा अभियान के तहत ब्लॉक सरवनखेड़ा के परिषदीय विद्यालयों की विद्यालय प्रबंध समितियों के सदस्यों व पदाधिकारी का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें उनके कार्यों, अधिकारों, शिक्षा की गुणवत्ता आदि के संबंध में प्रशिक्षित किया गया

कानपुर देहात। समग्र शिक्षा अभियान के तहत ब्लॉक सरवनखेड़ा के परिषदीय विद्यालयों की विद्यालय प्रबंध समितियों के सदस्यों व पदाधिकारी का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें उनके कार्यों, अधिकारों, शिक्षा की गुणवत्ता आदि के संबंध में प्रशिक्षित किया गया।
विकासखण्ड सरवनखेड़ा में शनिवार को विद्यालय प्रबन्ध समिति के सचिव एवं अध्यक्ष का एक दिवसीय प्रशिक्षण संचालित किया गया जिसमें प्रतिभागियों को संदर्भदाता राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 21 के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबन्ध समिति गठित होगी और समुदाय एवं माता-पिता को यह अवसर प्राप्त है कि वह अपने बच्चों के विद्यालय की विद्यालय प्रबंध समिति में शामिल होकर विद्यालयों में समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करें। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में विद्यालय प्रबंध समिति एवं स्थानीय प्रधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों द्वारा विद्यालय में पहुंचकर विद्यालय संचालन में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। संदर्भदाता अजय तिवारी ने कहा कि इस जनपहल प्रशिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्व का बोध हो सके एवं समग्र शिक्षा और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के उद्देश्यों को प्राप्त करने मे वे अपना यथा सम्भव सहयोग विद्यालय को प्रदान कर सकें इसलिए प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने सभी को बताया कि उत्तर प्रदेश मे निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली 2011 के अनुसार समिति मे कुल 15 सदस्य होंगे। 15 सदस्यों मे से 11 सदस्य विद्यालय में दाखिला प्राप्त बच्चों के माता-पिता या अभिभावक होते हैं और 4 नामित सदस्य होते हैं। समिति के कुल सदस्यों में से कम से कम 50 फीसदी महिलाएं अनिवार्य रूप से होगी। समिति का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। 2 वर्ष के बाद समिति का पुनर्गठन किया जाता है। यदि 2 वर्ष के बीच में समिति के अध्यक्ष बदल जाने की स्थिति में अथवा प्रधानाध्यापक के स्थानांतरण की स्थिति में खाता संचालन में यथा आवश्यक संशोधन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुमति से ही किया जाएगा।

संदर्भदाता शशि प्रभा सचान ने प्रतिभागियों को विद्यालय प्रबंध समिति के कार्य एवं दायित्व से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि 6 से 14 आयु वर्ष के सभी बालक बालिकाओं का शतप्रतिशत नामांकन एवं नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना, विद्यालय न आने वाले बच्चों के बारे में जानकारी लेना, बच्चों को बिना भेदभाव व भय के शिक्षा का अधिकार मिले, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों का नामांकन करना तथा प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक उनकी सुविधाओं एवं भागीदारी की देखरेख करना, अध्यापक अभिभावक की नियमित बैठक कर बच्चों की उपस्थिति एवं सीखने की प्रगति के बारे में जानकारी देना, मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को परखना और बच्चों को सही प्रकार से वितरण करना, विद्यालय को मिलने वाले अनुदान का सही तरीके से उपयोग किया जाए एवं विद्यालय की संपत्ति की देखरेख करना सुनिश्चित करें। एआरपी संजय शुक्ला ने कहा कि बालिकाओं को सबल बनाने और समाज में व्याप्त लिंग भेद को समाप्त करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम संचालित हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 आयु वर्ग की सभी बालिकाओं का विद्यालय में शत-प्रतिशत नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करने का प्रयास करें और गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने की कोशिश की जाए। 21वीं सदी के समाज में जब जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है तो ऐसी स्थिति में बालिका शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का कर्तव्य हम सभी का है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों की पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रो में प्री स्कूल शिक्षा के संचालन हेतु शिक्षा विभाग एवं आईसीडीएस के सहयोग से कार्य किया जा रहा है।
खंड शिक्षा अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने उपस्थित सदस्यों से कहा कि समुदाय के निष्ठावान और उत्साही सदस्यों को समिति में शामिल किया जाए इसका सरकारी विद्यालयों की कार्य प्रणाली पर सकारात्मक और रचनात्मक प्रभाव पड़ता है, उससे भी ज्यादा हर एक बच्चे के शिक्षा के अधिकार को तय करने के लिए जन आंदोलन हम सभी को अपने सेवित क्षेत्र में चलाना होगा, जहां समुदाय एकजुट होकर विद्यालय में सीखने की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं वहां पर विद्यालयों की तस्वीर बदल गई है। जब तक एसएमसी के सदस्य अपने कार्य और दायित्व के प्रति सक्रिय नहीं होंगे तब तक विद्यालय के बच्चे कक्षा के लर्निंग आउटकम को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेंगे। विद्यालय का स्टाफ और समिति के सदस्य मिलकर कल करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा। प्रशिक्षण में उमेश राठौर, विनोद शर्मा, निरुपम तिवारी, अभिषेक द्विवेदी, गोरेंद्र सचान, जफर अख्तर, प्रभा शुक्ला, विजया बनर्जी, अनिता, वंदना सिंह, बृजेंद्र गौतम, पायल चोपड़ा, अलका सिंह, सुरेश गुप्ता, प्रतिभा कटियार, अनुपम सचान, शाहीन आदि उपस्थित रहे।

Author: anas quraishi

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