बाबरी विध्वंस केस: कोर्ट ने किस आधार पर सभी 32 आरोपियों को किया बरी,जाने ?

6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. 12 बजे दिन में सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन उसके बाद ढांचे के पीछे से पत्थरबाजी शुरू हुई जो अराजक तत्वों की ओर से की गई.

लखनऊ: अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को 28 साल बाद लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने अपना फैसला सुनाया. अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. सीबीआई के विशेष जज ने अपने फैसले में माना कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और घटना अचानक हुई थी. अदालत में 26 आरोपी मौजूद थे, जबकि 6 आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए. इस मामले के आरोपियों में से विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल सहित 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है.

कार सेवकों के साथ डकैट भी थे मौजूद- कोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में अभियोजन साक्षी नंबर 9 अंजू गुप्ता के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कार सेवकों की भीड़ में कुछ अपराधी और डकैत भी आ गए थे. कोर्ट ने अपने निर्णय में सीबीआई की ओर से दिए गए साक्ष्य को समुचित साक्ष्य न मानते हुए ये टिप्पणी की है की वीडियो कैसेट्स में टेंपरिंग की गई है और वो सील भी नहीं थी.

सीबीआई ने साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफ्स के नेगेटिव पेश नहीं किए- कोर्ट
कोर्ट ने सीबीआई की ओर से पेश किए गए फोटोग्राफ्स के बारे में कहा है कि सीबीआई ने साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफ्स के नेगेटिव पेश नहीं किए. कोर्ट ने 65 एविडेस एक्ट का हवाला देते हुए आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत बरी किया है. कोर्ट ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. 12 बजे दिन में सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन 12 बजे के बाद ढांचे के पीछे से पत्थरबाजी शुरू हुई जो अराजक तत्वों की ओर से की गई.

अराजक तत्वों ने कार सेवकों के भेष में ढांचे पर आक्रमण कर दिया- कोर्ट
अशोक सिंघल का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा है कि वो कार सेवकों से संयमित रहने की अपील कर रहे थे. लेकिन, कुछ अराजक तत्वों ने कार सेवकों के भेष में ढांचे पर आक्रमण कर दिया और ये भी ख्याल नहीं किया कि ढांचे के नीचे रामलला का मंदिर है. कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की है कि इंटेलिजेंस की रिपोर्ट पहले से थी कि कुछ आतंकवादी या अराजक तत्व अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं. कोर्ट ने सभी अभियोजन साक्ष्य के बयान के आधार पर ये पाया कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपरोक्त घटना में कोई योगदान किसी आरोपी का नहीं है और बाइज्जत बरी सभी आरोपियों को कर दिया गया है.

26 आरोपी रहे अदालत में मौजूद
साक्षी महाराज, साध्वी ऋतभंरा, विनय कटियार, चंपत राय, राम विलास वेदांती, पवन पांडेय, आचार्य धर्मेन्द्र देव सहित 26 आरोपी बुधवार को अदालत में उपस्थित थे.

6 आरोपी अदालत में नहीं आए
लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री/राज्यपाल कल्याण सिंह सहित 6 आरोपी अदालत में मौजूद नहीं थे. इन लोगों को कोरोना के चलते अदालत में मौजूद होने से छूट दी गई थी.

Author: AMAN YATRA

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