कानपुर देहात। परिषदीय शिक्षकों के जिले के अंदर तबादले में छह साल से विफल बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर से स्थानान्तरण की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तबादले का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है और इसी सप्ताह शासनादेश जारी करने की तैयारी है। अब सवाल यह है कि क्या विभाग छह साल बाद शिक्षकों का ओपन ट्रांसफर करने में सफल होगा या हर बार की तरह कानूनी दांवपेच में मामला फंसा रह जाएगा। जिले के अंदर 2018, 2019 और 2023 में सिर्फ पारस्परिक स्थानांतरण और समायोजन हुए हैं। इसके अलावा तीन बार अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के चलते दूसरे जिलों से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं को जिला मुख्यालय के करीब विद्यालय आवंटित किए जा चुके हैं। नियम है कि पुरुष शिक्षकों को तैनाती के प्रथम पांच वर्ष और महिलाओं को सेवाकाल के दो वर्ष पिछड़े ब्लॉक में सेवा देनी है जबकि उसी जनपद में पांच साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षक-शिक्षिकाओं को खुले स्थानांतरण से वंचित रखा जा रहा है। इसके चलते सैकड़ों वरिष्ठ शिक्षक-शिक्षिकाएं जिला मुख्यालय से 70 से 80 किलोमीटर दूर के स्कूल में सेवा देने के लिए विवश हैं।
नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी-
जिले के अंदर स्थानांतरण न होने के चलते नगर क्षेत्र एवं शहरी एचआरए क्षेत्र के ज्यादातर विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इसके चलते शिक्षक छात्र अनुपात बिगड़ने के चलते छह से 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा के मौलिक अधिकार (आरटीई) के दावे भी हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि सभी जगह एक समान एचआरए दिया जाए और पिछड़े ब्लॉक में कई वर्षों से कार्यरत शिक्षकों का शहर के नजदीक के ब्लॉकों में स्थानांतरण किया जाए।
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