कानपुर देहात, अमन यात्रा : मण्डलायुक्त द्वारा जिलाधिकारी को सौपे गये 31 पृष्ठीय शिकायती जांच में तत्कालीन बीएसए सुनील दत्त के भष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितता का सच मुख्य कोषाधिकारी के के पांडे द्वारा की गई जांच में सामने आ गया है। जांच आख्या आने के बाद पूर्व बीएसए की मुश्किले बढ़ती जा रही हैं। साथ ही सरकारी धन के बन्दरबाट में उनके करीबी जिला समन्वयक एमडीएम देशवीर सिंह एवं करूणा शंकर शुक्ला लेखाकार एसएसए की संलिप्ता भी उजागर हुई है। इसी प्रकार फर्जी तरीके से शासनादेशों एवं वित्तीय नियमों के विपरीत मनमाने ढंग से वाहन, एसी, टी.वी. एलईडी, स्प्रिट एसी, आरओ, इन्वर्टर, बैट्री इत्यादि अन्य उपकरण कैम्प कार्यालय के नाम पर नियम विरुद्ध खरीदे गए जबकि कैम्प कार्यालय केवल जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ही स्थापित कर सकते हैं। इससे प्रतीत होता है कि बेसिक शिक्षा विभाग में धन लाभ हेतु अपने आवास पर कार्यालय का संचालन किया गया। शिकायतकर्ता गणेश श्रीवास्तव कि यह शिकायत भी सही पाई गई कि उनके मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। मुख्य सचिव एवं विशेष सचिव के स्पष्ट निर्देशो के बावजूद न्यूनतम मानदेय कर्मी का मानदेय नियम विरूद्ध रोकना एवं कोरोना वैश्विक महामारी होने के बावजूद मानदेय न मिलने के कारण जिलाधिकारी से भोजन की मांग करने पर भी पूर्व बीएसए द्वारा किसी भी प्रकार का अनुतोष नहीं प्रदान करना घोटाले की ओर इशारा करता है। उ0प्र0 शासन कार्मिक अनुभाग-4 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 7/2020/315/ सामान्य-क-4-2020 दिनांक 17 अप्रैल 2020 का भी दुरुपयोग पूर्व बीएसए द्वारा विद्धेषभावना के कारण न्यूनतम कार्मिको की ड्यूटी बिना किसी अवकाश के लगायी गयी।
पूर्व बीएसए की नजरो में जो थे दीपक, वही निकले बेसिक शिक्षा विभाग के दीमक
सरकारी धन के बंदरबाट में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले एमडीएम प्रभारी अपने पटल के साथ-साथ कई पटलो का अवैध रूप से चार्ज लिये हुए हैं जबकि शासनादेशानुसार एमडीएम अनुभाग में कार्यरत कार्मिक को अन्य कार्यों से मुक्त रखे जाने का प्रावधान है। दूसरी तरफ लेखाकार जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन होने के बाद भी नियम विरूद्ध अवैध कैम्प कार्यालय के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। जब वित्त के प्रहरी ही उसके भक्षक बन जायेंगे तो बेसिक शिक्षा का पतन सुनिश्चित है। दिनांक 06 से 09 सितम्बर, 2022 तक 04 दिन 31 पृष्ठीय चली जांच में सिर्फ 05 बिंदुओं में ही इतना खुलासा सामने आया है अन्दर कितना बन्दरबाट है इसी से अनुमान लगाया जा सकता है। मुख्य कोषाधिकारी द्वारा आखिरी पंक्ति में यह लिखना कि इस जांच रिपेार्ट में ऐसे तथ्य छूटे हो सकते हैं जो अप्राप्त पत्रावलियो में उपलब्ध हों, प्राप्त पत्रावलियों व उपलब्ध तथ्यों के आधार पर यह जांच आख्या प्रस्तुत की जा रही है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि जांच अधिकारी को किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान नहीं किया गया, जिस कारण से 04 दिन में ही केवल 05 बिन्दुओ पर ही आंशिक जांच हो पाई। जिन जिन बिंदुओं पर शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी वह सभी शिकायतें सही पाई गईं। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट है बीएसए कार्यालय में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त के समय में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर रहा है। इसके अलावा तत्कालीन बीएसए पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लग चुके हैं। अब देखना यह होगा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद अब तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त पर उच्च अधिकारियों द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है।
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