अमन यात्रा, कानपुर देहात: स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एमडीएम, दूध, फल के नियमित वितरण की व्यवस्था की सम्पूर्ण जिम्मेदारी भी विद्यालय हेडमास्टर/प्रभारी की ही है। सर्वविदित है कि व्यवहार में सम्बन्धित ग्राम का ग्रामप्रधान ही एमडीएम, दूध तथा फल वितरण करता है या इसके वितरण में पूरी दखल रखता है। अपवाद को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी ग्रामप्रधान एमडीएम, दूध तथा फल वितरण को अपनी आय का मुख्य स्रोत समझते हैं।
ग्राम का जनप्रतिनिधि होने के कारण वे एमडीएम आदि वितरण में सम्बन्धित हेडमास्टर/प्रभारी का हस्तक्षेप तनिक भी पसंद नहीं करते हैं। हेडमास्टर/प्रभारी क्षेत्र के ग्रामप्रधान से सीधे उलझने की स्थिति में भी नहीं होता और अंततः गुणवत्तापूर्ण एमडीएम, फल, दूध वितरण के जवाबदेही में फंसने के तनावपूर्ण ड्यूटी करने को वह बाध्य है। इतना ही नहीं एमडीएम कन्वर्जन कास्ट भी कभी-कभी पांच-छह माह तक नहीं आता, ऐसे में ग्राम प्रधान उधार न मिलने का कारण बताते हुए एमडीएम, दूध, फल वितरण से हाथ खड़ा कर देता है। ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारी सम्बन्धित हेडमास्टर/प्रभारी को कार्रवाई की चेतावनी देकर एमडीएम, दूध, फल वितरण कराने के लिए बाध्य करते हैं। ऐसे में हेडमास्टर/प्रभारी अपने वेतन से एमडीएम, दूध, फल वितरण कराने को विवश होता है। यह स्थिति भी शिक्षकों के शिक्षण एकाग्रता में बाधक एवं तनाव वृद्धि का कारण बनती है।
अधिकारियों की नजर में बेसिक शिक्षक हैं मल्टीटास्किंग टूल
अधिकारीगण बेसिक शिक्षकों को शिक्षण के अतिरिक्त कई अन्य गैर शैक्षणिक जिम्मेदारी भी सौंप देते हैं जैसे, पोलियो बूथ ड्यूटी, बीएलओ ड्यूटी, जनगणना ड्यूटी, पशु गणना ड्यूटी, कोरोना वेरीफायर ड्यूटी, कांवड़ यात्रियों के सहयोग सम्बन्धी ड्यूटी, चुनाव ड्यूटी, राशन कार्ड सत्यापन ड्यूटी, राशन वितरण करवाने की ड्यूटी, सड़क पर शौच करने से रोकने सम्बन्धी ड्यूटी, गौशाला हेतु भूसा एकत्र करने सम्बन्धी ड्यूटी, बाढ़ राहत सहायता सम्बन्धी ड्यूटी, डीबीटी हेतु आधार सत्यापन, यूपी बोर्ड परीक्षा कक्ष निरीक्षक ड्यूटी, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के कक्षनिरीक्षक ड्यूटी, विभिन्न जागरूकता अभियान, रैली आदि निकलवाना आदि। इस प्रकार बेसिक शिक्षकों को मल्टीटास्किंग टूल समझ कर विभिन्न गैर शैक्षणिक दायित्व देने से शिक्षक न सिर्फ निराश होता अपितु उसके शिक्षण एकाग्रता में बाधा भी पड़ती है।
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