कानपुर, अमन यात्रा । घर, मॉल, दुकानों व बंद जगहों पर अब वायरस और बैक्टीरिया नहीं पनप सकेगा। आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. जेराम कुमार व छात्रों की टीम ने कोरोनाकाल में एक ऐसा स्मार्ट हैंडी यूवी डिसिन्फेक्टेंट हेल्पर विकसित किया है जो किसी भी सामान्य कमरे को वायरस मुक्त रखने में कारगर है। ये मोबाइल से संचालित किया जा सकेगा। यदि कमरा बड़ा है तो दो या दो से अधिक उपकरण लगा सकते हैं। 15 वाट का यह यंत्र बिना इंटरनेट काम करता है, लेकिन जरूरत पडऩे पर इसे इंटरनेट से भी ऑपरेट कर सकते हैं। खास बात ये है कि ये शरीर के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है। जब इस यंत्र से किसी स्थान को संक्रमण मुक्त करना है तो इसे ब्लूटूथ के जरिए दूर से ही ऑन कर सकते हैं। आइआइटी के प्रो. जे राम कुमार के मुताबिक कोरोना काल में इसे बनाया गया था। उसके बाद से लगातार प्रयोग चल रहा है। आइआइटी की प्रयोगशाला में इसका सफल परीक्षण हो चुका है। अब इसे कमर्शीयल किया जाएगा।

पहले ही दिन खरीदारी में टूटे थे शारीरिक दूरी के नियम  : लॉकडाउन के पहले ही दिन बाजारों में शारीरिक दूरी के नियमों की खरीदारों ने धज्जियां उड़ा दी थीं। 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा पर बाजारों में सब्जी, किराना की वस्तुएं खरीदने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। आटा, चावल, दाल, बिस्कुट, ब्रेड जिसे जो मिल रहा था वह घर के लिए खरीद रहा था। इस खरीदारी में सामान की मात्रा भी ज्यादा ली जा रही थी। 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन में लोगों को डर था कि कहीं दुकानें भी बंद न हो जाएं या सामान की सप्लाई न बंद हो जाए। घर का कोई सदस्य सब्जी बाजार में था तो कोई बाकी चीजें खरीदने निकला हुआ था। कोरोना के चलते लोगों को घर में रहने की बात कही जा रही थी, लेकिन बाजारों में भीड़ बहुत ज्यादा थी। इसे देखते हुए प्रशासन को निर्देश जारी करने पड़े कि जनता को दाल, चावल या खाने की अन्य चीजें चाहिए तो वे अधिकारियों को फोन करें। अधिकारी उनके घर सामान पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे। इसके बाद प्रशासन की तरफ से अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई और उनके फोन नंबर जनता तक पहुंचाए गए।

तब हर चौराहे पर की गई थी नाकेबंदी : पिछले साल सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा करते ही सबसे पहले पुलिस ने पूरे शहर की नाकेबंदी की थी। यह नाकेबंदी इसलिए थी ताकि कोई बिना वजह घरों से निकल कर कोरोना के संक्रमण को बढ़ाने में मददगार न बन सके। 25 मार्च को लॉकडाउन लगते ही हर चौराहे पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया था। पूरे शहर में 595 स्थानों पर नाकेबंदी की गई थी। यह ऐसे स्थान थे, जहां पुलिस ने बैरियर लगाकर आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया था। बाकी रास्तों पर भी पुलिस तैनात की गई थी। लॉकडाउन को लेकर जिला प्रशासन ने सुबह चार बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक होम डिलीवरी एक्शन प्लान के तहत कुछ लोगों को ही घर से बाहर निकलने की छूट दी थी। सख्ती का आलम ऐसा था कि इस दिन पुलिस ने 6450 वाहनों को जांच के लिए रोका, जिसमें बेवजह घर से निकलने पर 1798 वाहनों का चालान कर उनसे 52 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला। इसके अलावा 76 वाहन सीज भी किए गए।

अब सामान्य हैं हालात  : ठीक एक साल बाद कोरोना संक्रमण का खतरा उतना ही है, लेकिन खौफ का वह मंजर गायब है। आवागमन पूरी तरह खुला हुआ है। कहीं नाकेबंदी नहीं है। पुलिस ने गुरुवार को 1125 वाहनों को चेक किया, जिसमें 357 वाहनों को चालान हुआ।