कानपुर देहातउत्तरप्रदेशफ्रेश न्यूज

अनुदेशकों एवं शिक्षामित्रों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं जीवन यापन करना हुआ दुश्वार

परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का बुरा हाल है। शिक्षकों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर शिक्षण व्यवस्था का कार्य करने वाले अल्प मानदेय में नौनिहालों को शिक्षा दे रहे हैं।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का बुरा हाल है। शिक्षकों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर शिक्षण व्यवस्था का कार्य करने वाले अल्प मानदेय में नौनिहालों को शिक्षा दे रहे हैं।

शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों की समस्याओं को लेकर सरकार व विभाग के समक्ष रखने वाले शिक्षक नेता राजेश मिश्र ने बताया कि किससे समस्या रखें जब कोई बात पर अमल नहीं करता है। वर्ष 2004 के पहले शिक्षामित्रों की नियुक्ति बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देश पर ग्राम शिक्षा समिति की ओर से की गई थी जिससे वर्ष 2004 के पूर्व नियुक्त शिक्षामित्रों का मानदेय बेसिक शिक्षा विभाग करता है जबकि वर्ष 2004 के बाद वर्ष 2010 तक ग्राम शिक्षा समिति की ओर से नियुक्त शिक्षामित्रों का मानदेय सर्व शिक्षा अभियान की ओर से जारी किया जाता है।

वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों की नियुक्ति 2013 में हुई थी इन्हें भी सर्व शिक्षा अभियान की ओर से मानदेय दिया जाता है। जनपद के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1925 है एवं अनुदेशकों की संख्या करीब 204 है। सूत्रों की मानें तो शिक्षामित्रों को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एनसीटीई से परमिशन लेकर दूरस्थ शिक्षा विधि से प्रदेश के 1 लाख 24 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाया इसके बाद अखिलेश यादव की सरकार ने स्थाई शिक्षक का दर्जा देते हुए बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में समायोजित कर दिया। कई माह तक वेतन पाने वाले ऐसे शिक्षकों को कोर्ट ने फिर शिक्षामित्र पद पर वापस कर दिया। अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां सरकार की हाई पावर कमेटी सही पैरवी नही कर सकी जिससे शिक्षामित्रों को सफलता नहीं मिल सकी।

शिक्षक नेताओं की पैरवी पर सरकार ने यूपी टेट/सी टेट एवं सुपर टेट परीक्षा लेते हुए कुछ शिक्षामित्रों को समायोजित किया जबकि हजारों शिक्षामित्र अब तक अपने मूल पद पर कार्य कर रहे हैं।वर्तमान में शिक्षामित्रों को मात्र 10000 रूपये प्रति माह एवं अनुदेशकों को 9000 रूपये प्रति माह मानदेय मिल रहा है। शासनादेश के अनुसार अनुदेशकों को अंशकालिक शिक्षण कार्य के लिए ही नियुक्त किया गया है लेकिन उनसे पूरे समय कार्य लिया जा रहा है जबकि अनुदेशकों को फुल टाइम जॉब के बदले पार्ट टाइम का भुगतान किया जा रहा हैं। सरकार की उदासीनता तो देखिए एक तो उनसे फुल टाइम कार्य ले रही है और उनके मानदेय में भी कोई वृद्धि नहीं कर रही है जिससे अनुदेशकों में असंतोष व्याप्त हैं। इतने कम मानदेय से वह इस महंगाई में अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी सक्षम नहीं हैं।

aman yatra
Author: aman yatra


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading