डीबीटी का पैसा लेकर सरकारी स्कूलों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में ले रहे हैं दाखिला
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक नया मामला सामने आया है। शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राथमिक विद्यालयों से कटवा कर प्राइवेट विद्यालयों में लिखवा रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों का क्या किया जाए उनका नाम विद्यालय से कैसे काटा जाए।
ब्रजेन्द्र तिवारी, कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक नया मामला सामने आया है। शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राथमिक विद्यालयों से कटवा कर प्राइवेट विद्यालयों में लिखवा रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों का क्या किया जाए उनका नाम विद्यालय से कैसे काटा जाए।
इसको लेकर काफी परेशान हैं। शिक्षकों का कहना है कि अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की धनराशि मिलने के बाद अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में भेज रहे हैं। जबसे डीबीटी का पैसा ऑनलाइन मिलना शुरू हुआ है तब से लगातार छात्रों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने ऐसी कई समस्याओं को लेकर अपनी बात रखी है।
इन विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि बीते दो वर्षों से डीबीटी का पैसा ऑनलाइन अभिभावकों के खातों में भेजा जा रहा है जिसका नतीजा यह है कि प्रदेश के कई जिलों में विद्यालयों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। शिक्षकों के मैसेज ट्विटर पर वायरल हो रहे हैं। शिक्षक सोशल मीडिया से लेकर शिक्षा विभाग तक शिकायत के लेकर पहुंच रहे हैं। प्रदेश के कुछ जिलों से इस तरह की शिकायतें आई हैं।
हालांकि अगर स्कूलों में छात्र उपस्थित नहीं बढ़ती है या जो छात्र लगातार अनुपस्थित हैं तो साल के अंत में विभाग ऐसे बच्चों का डाटा हटाने के लिए पोर्टल ओपन करेगा तब शिक्षक ऐसे छात्रों के स्कूल छोड़ने के वाजिब कारण बताते हुए उनका नाम डिलीट कर सकते हैं। एक बार नाम डिलीट हो जाने के बाद अगली बार उनको डीबीटी का पैसा भी नहीं मिलेगा।