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आईटीआर में फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगाना सरकारी कर्मचारियों को पड़ेगा भारी

टैक्स बचाने के लिए कुछ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगा देते हैं लेकिन अब ऐसा करने वालों को आयकर विभाग नोटिस भेज रहा है।

Story Highlights
  • फर्जी मकान किराया स्लिप लगाने वालों को इनकम टैक्‍स विभाग भेज रहा है धड़ाधड़ नोटिस

अमन यात्रा, कानपुर देहात। टैक्स बचाने के लिए कुछ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगा देते हैं लेकिन अब ऐसा करने वालों को आयकर विभाग नोटिस भेज रहा है। विभाग का कहना है कि फर्जी हाउस रेंट रसीद लगाना गलत है और इसको रोकने के लिए पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है। ऐसे में फर्जी रेंट स्लिप लगाकर पैसा बचाने की जुगत करदाता को भारी पड़ सकती है। आयकर विभाग अब इस पर सख्ती से कार्यवाही कर रहा है। कानपुर के रहने वाले संजय कुमार ने अपने एम्‍प्‍लॉयर की तरफ से फॉर्म-16 मिलते ही अपना इनकम टैक्‍स रिटर्न भर दिया। अब बस उन्‍हें जल्‍द से जल्‍द रिफंड का इंतजार था कि तभी एक बुरी खबर आ गई। खबरों के जरिये उन्‍हें पता चला कि इनकम टैक्‍स विभाग फर्जी रेंट स्लिप लगाकर डिडक्‍शन लेने वालों को नोटिस भेज रहा है। खबर पढ़ते ही संजय के पैरों तले जमीन खिसक गई। अब उन्‍हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर क्‍या करें और नोटिस का जवाब भी आखिर कैसे दें। ऐसा सिर्फ संजय के साथ नहीं हो रहा बल्कि इनकम टैक्‍स विभाग ने अब फर्जी रेंट स्लिप के जरिये टैक्‍स क्‍लेम करने वाले हजारों करदाताओं की पहचान करना शुरू कर दिया है। ऐसे करदाताओं को विभाग धड़ाधड़ नोटिस भी भेज रहा है। नोटिस पाते ही करदाताओं के हाथ से तोते उड़ जाते हैं और उनके मन में सिर्फ एक ही सवाल उठता है कि आखिर कैसे इनकम टैक्‍स विभाग ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया।

यह सिस्‍टम बनाया है। विभाग ने टैक्‍स मामलों के जानकार और सीए प्रशांत जैन का कहना है कि इनकम टैक्‍स विभाग ने जबसे सालाना कमाई के आंकड़े (एआईएस) और फॉर्म-26 एएस के साथ फॉर्म-16 का मिलान शुरू किया है। ऐसे फर्जी मामलों को पकड़ना आसान हो गया है जो भी करदाता रेंट स्लिप के जरिये हाउस रेंट अलाउंस पर टैक्‍स छूट का दावा करते हैं उनके मकान मालिक से इसका मिलान कराया जाता है। जब दोनों के एनुअल इनकम स्‍टेटमेंट को मिलाया जाता है तो इसका अंतर साफ नजर आ जाता है।

 

कैसे पकड़ में आ रहा फर्जीवाड़ा-

 

टैक्‍स एक्‍सपर्ट का कहना है कि विभाग ऐसे मामलों को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्‍तेमाल कर रहा है। इसके जरिये कमाई और खर्च के तमाम स्रोत का मिलान कर गलत दावों को झट से पकड़ लिया जाता है। दरअसल रेंट स्लिप के जरिये इनकम टैक्‍स छूट का दावा करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी है।

 

नियमों के जाल में फंस जाते हैं करदाता-

 

दरअसल रेंट स्लिप से टैक्‍स छूट का दावा करने का पहला नियम ये है कि इसके लिए कंपनी की ओर से हाउस रेंट अलाउंस मिलना जरूरी है। नियोक्‍ता भी हर साल अपने एम्‍प्‍लॉयी से डिक्‍लेरेशन मांगता है जिसमें कर्मचारी किराये के मकान में रहने की बात कहते हैं और एचआरए के रूप में मिलने वाली रकम टैक्‍स फ्री मान ली जाती है। टैक्‍स कटौती के समय इस राशि को उनकी कमाई से अलग कर दिया जाता है। इस तरह एचआरए पर टैक्‍स छूट मिल जाती है।

 

एक लाख से ज्‍यादा किराये के लिए पैन जरूरी-

 

आयकर नियमों के तहत अगर किसी का सालाना किराया 1 लाख रुपये से ज्‍यादा है तो उसे मकान मालिक का पैन कार्ड देना जरूरी होता है। ऐसे में जब कोई करदाता रेंट स्लिप के जरिये किराये पर टैक्‍स छूट लेता है तो मकान मालिक के पैन कार्ड के जरिये उनके एआईएस में इस राशि का विवरण भी देखा जाता है। अगर बिना किराया चुकाए ही क्‍लेम किया गया है तो विभाग को इसका पता चल जाता है और फौरन नोटिस आ जाता है।

 

अगर 1 लाख से कम है किराया-

 

अगर किसी का किराया 1 लाख रुपये से कम है तो उसे भी इनकम टैक्‍स विभाग पकड़ लेता है। दरअसल नियोक्‍ता की ओर से एचआरए के लिए मांगे गए विवरण में किरायानामा यानी रेंट एग्रीमेंट लगाना जरूरी होता है। रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय उसमें मकान मालिक का नाम, पता और आईडी प्रूफ के साथ पैन कार्ड का भी विवरण देना जरूरी होता है। ऐसे में जब आप 1 लाख रुपये से कम के किराये का दावा करते हैं तो भले ही इसके लिए मकान मालिक का पैन न लगाना पड़े लेकिन रेंट एग्रीमेंट में पहले ही दिए गए पैन के विवरण से भी इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया जाता है।

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Author: aman yatra


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