रेलवे अधिकारी का सामान बता ट्रेन की पेंट्रीकार में रखा था रुपयों से भरा बैग, कानपुर में होनी थी डिलीवरी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में 19 घंटे इधर-उधर घूमता रहा 1.40 करोड़ रुपये से भरा बैग। दिल्ली से सीसीटीवी फुटेज मंगाकर छानबीन में दो युवकों द्वारा बैग ट्रेन में रखने की बात सामने आई है। पेंट्रीकार के मैनेजर समेत स्टॉफ से पूछताछ की जा रही है।
कानपुर, अमन यात्रा। दिल्ली से जय नगर जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्पेशल ट्रेन की पेंट्री कार में मिले 1.40 करोड़ रुपयों की डिलीवरी कानपुर में ही होनी थी। बीती रात लावारिस मिले यह रुपये फिलहाल आरपीएफ के मालखाने में ही जमा हैैं। कर्मचारी किसी रेल अधिकारी का सामान समझकर 19 घंटे तक बैग को इस विभाग से उस विभाग भेजते रहे। बाद में शक होने पर बैग खोला गया।
बैग की सूचना सोमवार रात करीब दो बजे सबसे पहले कामर्शियल कंट्रोल रूम पर आई। फोन करने वाले ने खुद को मंडल का बड़ा अधिकारी बताते हुए कहा कि ट्रेन के पेंट्री कार में एक बैग है, उसे उतरवा लेना। ट्रेन प्लेटफार्म नंबर पांच पर रात 2:51 बजे पहुंची तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विजय शंकर ने बैग उतार लिया। इसके बाद रात 3.15 बजे दूसरा फोन कंट्रोल रूम नंबर पर आया।
फोन करने वाले ने बैग की डिलीवरी कैंट में कैंटीन साइड में खड़े व्यक्ति को देने के निर्देश दिए। बैग किसे देना है, उसका नाम पता नहीं बताया। इस पर कंट्रोल रूम से बिना परिचय बैग देने से इन्कार कर दिया गया। फिर फोन सहायक आयुक्त के कंट्रोल रूम पर आया। फोन करने वाले ने बैग मंगवाने की बात कही तो वहां से भी कर्मचारियों ने बैग मंगवा लिया। इस बीच शक होने पर रेलवे, आरपीएफ और जीआरपी अधिकारियों की उपस्थिति में मंगलवार शाम सात बजे बैग खोला गया तो इतने रुपये देख सबके होश उड़ गए।
कानपुर, अमन यात्रा। दिल्ली से जय नगर जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्पेशल ट्रेन की पेंट्री कार में मिले 1.40 करोड़ रुपयों की डिलीवरी कानपुर में ही होनी थी। बीती रात लावारिस मिले यह रुपये फिलहाल आरपीएफ के मालखाने में ही जमा हैैं। कर्मचारी किसी रेल अधिकारी का सामान समझकर 19 घंटे तक बैग को इस विभाग से उस विभाग भेजते रहे। बाद में शक होने पर बैग खोला गया।
बैग की सूचना सोमवार रात करीब दो बजे सबसे पहले कामर्शियल कंट्रोल रूम पर आई। फोन करने वाले ने खुद को मंडल का बड़ा अधिकारी बताते हुए कहा कि ट्रेन के पेंट्री कार में एक बैग है, उसे उतरवा लेना। ट्रेन प्लेटफार्म नंबर पांच पर रात 2:51 बजे पहुंची तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विजय शंकर ने बैग उतार लिया। इसके बाद रात 3.15 बजे दूसरा फोन कंट्रोल रूम नंबर पर आया।
फोन करने वाले ने बैग की डिलीवरी कैंट में कैंटीन साइड में खड़े व्यक्ति को देने के निर्देश दिए। बैग किसे देना है, उसका नाम पता नहीं बताया। इस पर कंट्रोल रूम से बिना परिचय बैग देने से इन्कार कर दिया गया। फिर फोन सहायक आयुक्त के कंट्रोल रूम पर आया। फोन करने वाले ने बैग मंगवाने की बात कही तो वहां से भी कर्मचारियों ने बैग मंगवा लिया। इस बीच शक होने पर रेलवे, आरपीएफ और जीआरपी अधिकारियों की उपस्थिति में मंगलवार शाम सात बजे बैग खोला गया तो इतने रुपये देख सबके होश उड़ गए।