शिक्षकों की समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर नहीं
शिक्षकों की समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर नहीं है जिसके परिणाम स्वरूप आज प्रदेश का शिक्षक परेशान है और शिक्षकों की एक भी मांग नहीं मानी जा रही है जिसके कारण प्रदेश का शिक्षक आंदोलन का मन बना रहा है।
लखनऊ / कानपुर देहात। शिक्षकों की समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर नहीं है जिसके परिणाम स्वरूप आज प्रदेश का शिक्षक परेशान है और शिक्षकों की एक भी मांग नहीं मानी जा रही है जिसके कारण प्रदेश का शिक्षक आंदोलन का मन बना रहा है। उक्त प्रतिक्रिया प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जनपदीय अध्यक्ष ने ब्लॉक संसाधन केंद्र में आयोजित बैठक के दौरान शिक्षकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक की एक भी मांग नहीं मानी जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार टैबलेट देकर आम जनमानस में यह संदेश देना चाहती है की शिक्षक समय से विद्यालय नहीं जाते हैं जबकि शत-प्रतिशत शिक्षक समय से ड्यूटी करते हैं और निरीक्षण के दौरान इसकी पुष्टि भी होती रहती है। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को उपार्जित अवकाश दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक अपने अधिकार को लेकर जागरूक हो जाएं क्योंकि वर्तमान परिवेश में शिक्षक सवर्ग पर ही सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की बरसों पुरानी मांग पदोन्नति, स्थानांतरण, उपार्जित अवकाश, चिकित्सीय सुविधा के मामले में आज तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूली शिक्षा महानिदेशक शिक्षकों की धैर्य की परीक्षा न लें अन्यथा प्ररिणाम गंभीर होगा।